श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिलिग दिव्य और अलोकिक ज्योतिलिंग
निर्मल सेवा संस्थान सहरसा बिहार की और से श्री
काशी विश्वनाथ ज्योतिलिंग के चरणों में समर्पित
श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिलिंग उत्तेर प्रदेश के वाराणसी
जिले में है यह ज्योतिलिंग वाराणसी रेलवे स्टेशन
से करीब 5 किलोमीटर की दुरी पर है यह ज्योतिलिंग वाराणसी शहर के गंगा नदी के किनारे
स्थित है यहाँ पहुचने के लिए देश के सभी भागो से सडक रेल हवाई सुविधा उपलध है आप देश
के किसी भी हिस्से से वाराणसी जंक्शन पहुचे वाराणसी में इंटरनेशनल हवाई अड्डा है जहा
आप पहुच कर वहा से सीधे गोदालिया चौक पहुचे वाराणसी रेलवे स्टेशन से श्री विश्वनाथ मंदिर 5 किलोमीटर की दुरी पर है ऑटो बाला आपसे २०
या ३० रूपये में आप को गोदालिया चोक पहुचा देगा जहा से मंदिर ५०० मीटर की दुरी पर है
मंदिर के आस पास काफी दुकाने है इस के बिच से एक रास्ता गलियों से श्री काशी विश्वनाथ
मंदिर की और जाता है इन्ही गलियों से चल कर
आप को मंदिर परिसर जाना होगा मुख्य सरक से गेट नंबर ४ से भी आप मंदिर जा सकते है इस
मंदिर के अन्दर जाने के चार प्रमुख्य गेट है गेट नंबर २ जो गंगा किनारे से है जहा आप
मंदिर के ट्रस्ट के लोकर में निःशुल्क अपना सामान रख सकते है गंगा में स्नान के उपरांत
आप गेट नंबर २ से मंदिर के अंदर प्रवेश कर सकते है यहाँ मोबाइल या कोई भी सामान अलाऊ
नहीं है आप को मंदिर के अन्दर ही फुल दूध प्रसाद मिल जायेंगे जो आप ज्योतिलिंग पर अर्पित
कर सकते है यहाँ अब अर्घ सिस्टम हो गया है आप अर्घा में गंगा जल चदा सकते है मंदिर
पहले काफी पुराना था जिसे रानी अहिल्या बाई ने बनबाया था मंदिर के शिखरों को राजा रंजित
सिंह जी ने सोने के पत्रों से सजवाया था मंदिर पर अभी भी सोने की परत चढ़ी हुई है लेकिन बर्तमान में मंदिर को नवनिर्मित किया गया है मंदिर के परिसर में
काफी लम्बा कारीडोर का निर्माण वर्तमान उतर प्रदेश सरकार के द्वारा करवाया गया है मंदिर
के कारीडोर को काफी अच्छा बनाया गया है इस मंदिर की पास काफी जमीने है लेकिन मंदिर
के आस पास के मंदिरों को नए सिरे से बिकसित किया जा रहा है मंदिर के दक्षिण की और से
प्रसिध्य माता अन्नपूर्ना का मंदिर है मंदिर के अन्दर काफी पुराने मंदिरों का समूह
है मंदिर चारो और से दुकानों से घिरा हुआ है पास ही मंदिर के पूरब की और से गंगा नदी है पास ही
प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट है जहा हर समय चिताए जलती रहती है मंदिर के ही पास में गलियों
में प्रसिद्ध विप्लाक्षी मंदिर है जहा दक्षिण भारत के शिव भक्तो का जमाबरा लगा रहता
है काशी काफी प्राचीन नगरी है कहा जाता है
की यह काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशुल् पर वसी है प्रलय के समय में भी इस नगरी को भगवान्
शिव अपने त्रिशूल पर घारण करते है जिससे काशी
का कभी भी विनाश नहीं होता है यह काशी नागरी सप्त पुरियो में से एक है यहाँ आने के
बाद आपको यहाँ से जाने का मन नहीं करेंगा क्योकि यह नगरी सिर्फ नगरी ही नहीं मोक्ष
प्रदान करने वाली अनुपम नगरी है यहाँ घाटो पार आपको पुरे विश्व के पर्यटक मिल जायेंगे
जो यहाँ आकर पूरी तरह से भक्ति से सारावोर नजर आयेंगे काशी फकारो की नगरी है काशी दिलवालों
की नगरी है काशी शिव भक्तो की नगरी है काशी के रंग में दुवे आपको हर जगह भक्त नजर आ
जायेंगे काशी विश्वनाथ मंदिर के समिप कई घाट है सबसे प्रमुख्य दसासस्मेघ घाट है जहा
प्रतिदिन संध्या काल में गंगा आरती का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए पुरे विश्व से पर्यटक आते है काशी शान है हमारी काशी मान
है हमारी जो मनुष्य अपने जीवन में एक बार काशी
का दर्शन पूजन नहीं किया उस मनुष्य का मनुष्य जनम पूरी तरह से बेकार है
आप एक बार काशी आकर तो देखे पुरे काशी में
कुल चोरासी घाट है अस्सी संगम घाट से लेकर आदि केशव घाट तक आप को चारो और घाट ही घाट
नजर आयेगे गंगा नदी में काफी नाव चलती है आप इन नावो पर बोटिंग का भी मजा ले सकते है
गंगा नदी के किनारे तट पर बसा हुआ बनारस शाहर भारत के प्राचीनतम शहरो में से एक है बनारस को पुरानो में काशी के नाम
से जाना जाता है कहा गया है की बनारस शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ है पृथ्वी
के प्रलय आने पर भी काशी नगरी सदा सुरक्षित रहेगी काशी हम हिन्दुओ का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थ स्थल है
काशी के घाटो पर पुर्बजो के अस्थि को गंगा में प्रवाहित किया जाता है काशी को घाटो
के शहर के रूप में भी जाना जाता है इन घाटो में दशास्मेघ घाट प्रमुख्य है मनिकर्न्निका
घाट पर अंतिम संस्कार करने से मनुष्य जनम मरण के बन्धनों से मुक्त हो जाता है नारद
पुराण के अनुसार काशी भगवान् शिव के बारह ज्योतिलिग में नोवा ज्योतिलिंग है काशी में असथित
ज्योतिलिंग हजारो शालो पुराना है ऐसा माना जाता है की गंगा में दुबकी लगा कर भगवान
काशी विश्वनाथ की पूजा अर्चना करने से मनोबंछित फल की प्राप्ति होती है भगवान् शिव
का ज्योतिलिंग बाद में जीर्ण शीर्ण हो गया था जिसे बाद में हिन्दू राजाओ ने इसका पुनः
निर्माण करवाया था बाद में किसी मुग़ल बादशाह
ने इसे नस्त करवा दिया था इसके स्थान पर मस्जिद का निर्मान करवाया गया था बर्तमान मंदिर
जो है इसका निर्माण इंदौर की रानी अहिल्या बाई ने १७८० में करवाया था १८३९ में पंजाव
केशरी श्री महाराजा रंजित सिंह जी ने इस पर 1हजार किलो सोने से मंदिर की दीवारों अवम
छत को सोने से सजवाया था मंदिर की दीवारों अवम छत पर की गयी नकासी मन मोहने बलि है
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना हिन्दू
पंडितो के द्वारा किया जाता है यहाँ बतमान सरकार के द्वारा मंदिर के ट्रस्ट को अपने
अधीन करके समस्त कार्य की देखभाल करते है यह मंदिर काफी सुन्दर और रमणीक है यहाँ रहने
खाने पिने की उचित प्रबंध है श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की और से निःशुल्क भोजन
की भी बयब्स्य्था है वाराणसी शहर में आपको हजारो निजी होटल मिल जायेगे गंगा के तट
पर भी कई होटल है जिसमे आप अपनी सुबिधा के अनुसार रुक सकते है यहाँ कई धरम शालाये भी
है जहा भक्तो के रहने की अछि सुबिधा है यहाँ के गलियों में बिकने बाले व्यंजन का भी
आप लुफट उठा सकते है इसमें से कचोरी गली काफी फैमस है भगवान शिव के अतिरिक्त यह काफी
मूर्तियों की दुकाने भी है
भगवान शिव का ज्योतिलिंग लगभग ६० सेंटीमीटर लम्बा है जिसे चांदी की बेदी मेंरखा गया है मंदिर का दरवाजा सुबह करीब २.३० बजे खुल जाता है सुबह में भगवान् शिव के ज्योतिलिंग की मंगला आरती सुवः ३.०० बजे होती है भगवान् काशी विश्वनाथ की आरती दिनमें पञ्च बार की जाती है शाम की आरती ७.०० बजे से 8.३० होती है भगावान शिव के ज्योतिलिंग का दर्शन रात्रि के ९ बजे तक होती है १०.३० बजे के बाद शयन आरती के बाद मंदिर को बंद कर दिया जाता है मंदिर के ट्रस्ट के पुजारियों के द्वरा आप पूजा आर्चना करवा सकते है आप अपनी इच्छा के अनुसार दान भी दे सकते है भगवान् शिव के इस ज्योतिलिंग के पूजा में विशेष कर दूध गंगाजल वेळ पात्र पुष्प भंग धतूरे का बिसेस महत्व होता है वाराणसी में मंदिर के आस पास अनेक मंदिर और दर्शनीय स्थल है जिसमे से प्रमुख्य मानस मंदिर संकट मोचन मंदिर दुर्गा मंदिर काशी हिन्दू विश्व विदालय अवम इसके परिसर में स्तिथ भगवान् शिव का नया विश्वनाथ मंदिर प्रमुख्य है बनारस काशी में घटो का विसेस महत्व है शाम के समय भक्त गंगा में नोका विहार का भी आनद उठाते है काशी आकर आपको ऐसा महशुस होगा मानो आप किसी स्वर्ग में आ गए है जीवन में इक बार काशी जरुर आये और यहाँ के मंदिरों के दर्शन जरुर करे
लेखक स्वामी निर्मल गिरि जी महाराज