Most popular sun temple in india –सूर्यदेव देव मंदिर औरंगाबाद
बिहार
सूर्य देव मंदिर औरंगाबाद
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के देव में है जहा जाने के लिए आपको पहले बिहार की राजधानी
पटना आना होगा सड़क मार्ग से जाने के लिए पटना
से देव औरंगाबाद की दुरी करीब १६० किलोमीटर है देव के लिए पटना से हर समय बस की सुविधा उपलध है जो अरवल ब्रिक्रम से होकर गुजरता
है यह n h ९६ पर है रेल से जाने के लिए आपको
अनुग्रह नारायण रोड देव रेलवे स्टेशन जाना होगा जो चारो और से ज़ुरा हुआ है जहा से मंदिर
की दुरी लगभग ३० किलोमीटर है जहा से आप बस या टैक्सी से देव मंदिर आशानी से जा सकते
है हवाई मार्ग से जाने के लिए आपको बिहार की
राजधानी पटना का लोकनायक जयप्रकाश हवाई अड्डा नजदीकी हवाई अड्डा है जहा से देव की दुरी
४ घंटे में तय की जा सकती है यहाँ जाने के लिए दानापुर से भी हमेशा बस की सुविधा उपलध
रहती है बस का किराया लगभग २०० से ३०० लगता है आप अपनी सुविधा के अनुसार जासकते है
सूर्यदेव देव मंदिर भारत के बिहार राज्य के औरंगाबाद
जिले के देव नामक स्थान पर है यह औरंगाबाद शहर
से १० किलोमीटर की दुरी पर है यह मंदिर
एक हिन्दू मंदिर है जो हिन्दू देवता सूर्य देव को समर्पित है यह सूर्य मंदिर अन्य
सूर्य या मंदिरों की तरह पूर्व की और मुख्य बाला नहीं है इस सूर्य मंदिर का मुख्य पूर्व
की और नहीं होकर पश्चिम की दिशा की और है यह मंदिर हिन्दू देवता सूर्य देव का ही मंदिर
है
देव का सूर्य मंदिर अपनी पुरानी अनूठी शिल्प कला के
लिए प्रसिध्य है इस सूर्य मंदिर को पथरो को काफी सुन्दर ढंग से तराश कर बनाया गया है
इस मंदिर की नक्काशी की कला काफी सुनदर है यह मंदिर निर्माण की कला का वेजोड़ नमूना
है इस मंदिर के निर्माण का काल इतिहासकार छटी से सातवी सदी के बिच होने का अनुमान करते
है जबकि पोरानिक कहानी के अनुसार यह सूर्य
मंदिर का निर्माण द्वापर युग या काल का बताते है
मंदिर के निर्माण के बारे में काफी मत भेद है लेकिन इस सूर्य मंदिर का निर्माण
द्वापर युग में ही हुआ होगा
कहते है की इस सूर्य मंदिर का निर्माण कृष्ण के पुत्र
साम्भ ने करवाया था कृष्ण के पुत्र साम्भ के द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में
से यह एक है इस सूर्य मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है की देव माता अदिति
ने की थी इस सूर्य मंदिर के कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब देवता राक्षसो
के हाथ हार गए थे तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की कामना से देवरण में छठी
मैया की आराधना की थी तव छठी मैया ने उन्हे सवगुन संपन पुत्र होने का बरदान दिया था
इसके उपरांत त्रिदेव रूप में सूर्य भगवान प्रगट हुआ थे जिहोने असुरो पर देवताओ को विजय
दिलवाई थी उसी समय से इस स्थान का नाम देव हो गया था और छठ की परंपरा सुरु हुआ था इस
मंदिर में सूर्य की पूजा आराधना होती है
इस मंदिर में पूजा करने के लिए पुरे साल भर भक्त आते
है किन्तु बिहार और उत्तेर प्रदेश के भक्त ज्यादा छठ के समय यहाँ आते है इस समय यहाँ
काफी भीड़ जमा होती है यहाँ प्रति दिन हजारो भक्त आते है यहाँ खास कर शनिबार के दिन
यहाँ भक्त हवन और पूजन के लिए आते है प्राचीन मानता है की जो भक्त यहाँ आता है वो कभी
भी यह इस सूर्य मंदिर से खाली हाथ लोट कर नहीं जाता है जब भक्तो को मनो बांछित फल की
प्राप्ति होती है तब यहाँ आकर भक्त कार्तिक या चेत्र के महीने में आकर छठ पूजा करते
है ऐसा माना जाता है की इस मंदिर को 100 फुट लम्बा और चोरा बनाया गया है जिसमे छाता
की तरह शीर्ष स्थान है यहाँ भगवान् सूर्य की पूजा करने और ब्रहम कुंद में स्नान करने
की परम्परा है यह तीर्थ यात्री विदेशो से भी इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते है
विशेष कर यहाँ छठ के समय काफी भीड़ होती है यह सूर्य मंदिर देश के बारह सूर्य मंदिरों
में प्रमुख्य है आप यहाँ एक बार जरुर आकर सूर्य भगवान् का दर्शन पूजन करे
लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज
यह लेख स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज की निजी लेख
है अंडर कॉपीराइट एक्ट के अधीन है
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