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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

सिंहेश्वर का शिव मंदिर मधेपुरा -बिहार का वैजनाथ सिंहेश्वरनाथ शिव मंदिर

 

बिहार का बैजनाथ -सिंहेश्वर का शिव मंदिर मधेपुरा

 

कोशी का बैजनाथ -सिंघेस्वर का शिव मंदिर मधेपुरा मधेपुरा जिले में है यह मंदिर त्रेता युगीन मंदिर है यह कोशी नदी के सहायक नदी के किनारे अब्स्थित है यह सृंगी ऋषि की तप स्थली के रूप में प्रसिध्य है

यह़ॉ आने  के लिए आपको बिहार की राजधानी पटना रेल सड़क या हवाई मार्ग से आना होगा पटना पुरे देश से रेल सड़क या हवाई मार्ग से ज़ुरा हुआ है पटना पहुचने के बाद आपको रेल से  कोशी का बैजनाथ -सिंघेस्वर का शिव मंदिर मधेपुरा आने के लिए  दौरम मधेपुरा रेलवे स्टेशन आना होगा पटना से सीधे कोशी एक्सप्रेस या जनहित एक्सप्रेस  दौरम मधेपुरा आती है आप सीधे रेल से यहाँ पहुच सकते है यहाँ से कोशी का बैजनाथ -सिंघेस्वर का शिव मंदिर  की दुरी करीब ९ किलोमीटर है स्टेशन परिसर में ही काफी ऑटो लगी रहती है जो आपको सीधे २० रुपये में सिंघेस्वर मंदिर के हाथी गेट के पास पहुचा  देगी   जहा से मंदिर १०० मीटर की दुरी पर है सड़क से ही मंदिर का शिखर दिखाई देता है मंदिर के पुरबी गेट के पास ही शिव गंगा सरोबर है

सड़क मार्ग से आप देश के किसी भी कोने से सहरसा पहुच सकते है जहा से सिंघेस्व्वर शिव मंदिर ३० किलोमीटर पूरब की और है सहरसा से बस या ट्रेन ऑटो से आप मंदिर सीधे पहुच सकते है

हवाई मार्ग से आने के लिए पटना का जय प्रकाश हवाई अड्डा और दरभंगा का हवाई अड्डा नजदीक है देश के सभी भागो से पटना सीधी हवाई सेवा है जहा आने के बाद आपको फिर ट्रेन या बस से ही सिघेस्वर मंदिर तक पहुचना होगा

मंदिर के प्रागनं में ही काफी फुल के दुकान है यहाँ से आप पूजन सामग्री खरीद सकते है यह मंदिर काफी पुराना है यहाँ सावन के महीने में भक्त गंगा जल अरपर्ण करते है मंदिर के प्रागन के बिच में  शिव लिंग है जहा प्रितिदीन हजारो शिव भक्त जल अर्पित करते है शिव मंदिर के ठीक पुरबी किनारे की और पहले गणनायक गणेश जी का मन्दिर है शिव मंदिर के ठीक पूरब उत्तर ब्किनारे की और माता पार्वती का मंदिर है इसके अतिरिक्त शिव मंदिर के चारो और और कई मंदिर है जिसमे से भैरव मंदिर राम जी का मंदिर हनुमान जी का मंदिर प्रमुख्य है मंदिर परिसर में दो कुआ है जिसका जल भागवान शिव और माता पार्वती को भक्त अर्पित करते है

सिंघेस्वर का शिव मंदिर के आस पास कई धरम शालाये भी है जहा आप मामूली शुल्क देकर रुक सकते है यहाँ मंदिर के आस पास कई निजी होटल भी है जहा रुकने की उचित सुविधा है यहाँ इस मंदिर परिसर में शिव रात्रि के अबसर पर काफी बड़ा मेला लगता है जहा इसे देखने पुरे देश से भक्त आते है पहले यह मेला सोनपुर मेला के बाद दुसरे स्थान पर आता था जहा हाथी घोड़े अवम अन्य जानबरो की बिक्री होती थी लेकिन अब मेला सिमित हो गया है लेकिन यह मेला एक महीने तक लगता है जहा पुरे देश  के व्यापारी अपने सामानों की विक्री के लिए आते है

सिंघेस्वर का शिव मंदिर एक अनूठा शिव मंदिर है आप अगर मंदिर के अन्दर शिव लिंग को देखेंगे तो ऐसा प्रतीत होगा जैसे इसे कई युगों से है यह शिव लिंग शम्भू है इसकी कहानी काफी रोचक और पुरानी है कहते है की त्रेता युग में जब राजा दसरथ को संतान नहीं हुआ था तब वह यहाँ के संत तपश्वी श्रृंगी ऋषि के पास संतान की कामना लेकर आये थे जिनके अनुरोध पर श्रृंगी ऋषि ने यहा पुत्र की कामना से यज्ञ  किया था जिस के हवन कुंड से अग्नि देव प्रकट  होकर राजा दसरथ को  खीर प्रदान किये थे जिससे राजा दशरथ ने अपने तीनो रानियों में बाट दिया था जिससे राजा को चार पुत्र की प्रप्ति हुए थे अग्नि कुंद में ही शिंगी ऋषि ने शिव लिंग को प्रकट किया था जो तभी से आज तक पूजित हो रहां है

इस मंदिर के आस पास काफी सुन्दर जगह है जिसका भी आप अबलोकन कर सकते है मंदिर परिसर में पण्डे है जो उचित दर पर आपको पूजा करवा देंगे मंदिर के अन्दर पण्डे हर समय मोजूद रहते है जो आपकी हर तरह की पूजा संपन करते है यहाँ मंदिर परिसर में बारहों महिने विवाह  होता है जहा पुरे बिहार समेत नेपाल से विवाह के लिए ग्रामीण आते है यहाँ के मंदिर में विवाह करने की काफी पुराणी परमंपरा है  यहाँ विवाह के लिए काफी  मामूली शुल्क लिया जाता है मंदिर के आस पास कई धरम शालाये है जहा मामूली राशी पर आप धरम शालाये को किराये पर ले सकते है यहाँ शिवरात्रि के अबसर पर काफी बड़ा मेला का आयोजन किया जाता है जहा देश विदेश के दुकानदार अपने समानो की बिक्री हेतु आते है पहले यह मेला सोनपुर के पशु मेले के बाद  एशिया का सबसे बड़ा पशु मेले के रूप में जाना जाता  था परन्तु अब यह मेला काफी सिमट गया है मंदिर के आस पास काफी निजी होटल भी है जहा आपको रहने के लिए कमरे आशानी से मिल जाते है यहाँ काफी खाने पिने की भी दुकाने है मंदिर के उत्तेर की और काफी बड़ा पशु बाजार है जहा हर समय पशु मिलते है यहाँ गाय भैस बकरी की काफी नस्ल मिलते है अब यह मेला एक महीने तक लगता है मंदिर के उत्तरी और से पहले नदी बहती थी लेकिन अब वह एक नाले के रूप में रह गयी है 

आप यहाँ जरुर आकर इस बिहार के इकलोते शिव मंदिर का दर्शन पूजन जरुर करे आप हमारे पोस्ट हमारे इस वेबसाइट पर भी जाकर पढ  सकते है 

https://nirmalsevasansthan.wordpress.com

लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

कांटेक्ट आर अंडर कॉपीराइट एक्ट @स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

 

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा -THE MOST FAMOUS TEMPLE IN BIHAR -

THE MOST FAMOUS TEMPLE IN BIHAR - श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा  

श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा कोशी क्षेत्र के सहरसा जिले के मुख्य शहर के उतरी छोर पर है यह मंदिर सहरसा रेलवे स्टेशन से करीब ३ किलोमीटर उतर दिशा में है यहाँ आने के लिए आपको सहरसा आना होगा सहरसा के लिए देश के हर कोने से रेलवे की सुविधा है आप देश के किस्सी भी कोने से रेल सड़क या हवाई मार्ग से  पहले बिहार की राजधानी पटना पहुचे जहा से सहरसा शहर की दुरी २३४ किलोमीटर है आप यहाँ आने के लिए रेल सड़क दोनों मार्ग चुन सकते है पटना से प्रतिदिन ट्रेन सुबह ७,१५ बजे इंटरसिटी एक्सप्रेस  अवम १२.३० बजे राजरानी एक्सप्रेस सीधी ट्रेन सहरसा जंक्शन आती है  अवम दानापुर  तथा पाटलिपुत्र से भी ट्रेन प्रतिदिन सहरसा आती है इन ट्रेनों से आप सहरसा पहुच सकते है

सड़क मार्ग से आप बस से भी सहरसा पहुच सकते है सहरसा बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से आपको ऑटो या इ रिक्शा मंदिर के लिए सीधे मिल जाएगी जहा का किराया लगभग २० रूपया है आप सीधे मंदिर परिसर पहुच सकते है

      सहरसा शहर में यह एक प्रमुख्य पूजा स्थल के रूप में बिकसित किया गया है एक बंजर जल भराव के क्षेत्र को इक खुबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में बिकसित किया गया है इस जगह को मंदिर का रूप अवम वीरान झील को बिकसित करने का कार्य सहरसा के पूर्व डीएम श्री ट न लाल दास ने किया था इस मंदिर को जन सहयोग से बनबाया गया मंदिर नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर के तर्ज पर निर्मित किया गया है मुख्य मंदिर में माता काली की प्रतिमा है  इस परिसर में कई और मंदिर है मुख्य मंदिर काफी सुन्दर और भव्य बना हुआ है मुख्य मंदिर के ठीक उत्तर की और बाबा कारू खिरहर का मंदिर है जिसमे बाबा कारू खिरहर की प्रतिमा है मंदिर के बाहर और भीतर भी बाबा कारू की प्रतिमा लगी हुआ है मन्दिर के बगल में उत्तर की ही और से माता दुर्गा का भी मंदिर है  मुख्य मंदिर के ठीक पश्चिम की और से शिव मंदिर है जिसमे पारद का शिवलिंग है इसके दक्षिण की और नव ग्रहों की भी मंदिर है मुख्य मंदिर के ठीक पश्चिम की और भगवान श्री हनुमान जी का मंदिर है इसके बगल में हवन कुंद भी है जहा भक्त से समय समय पर पुजारियों से अपने मंगल के लिए हवन भी करवाया जाता है इसके दक्षिण में श्री राधा कृष्ण जी का मंदिर है इसमें राधा और कृष्ण जी की प्रतिमा है इसके पीछे एक छोटा सा पहार बनबाया गया है जिस पर विना के सकल में एक ढाचा निर्मित है जिसमे माता सरसवती का मंदिर है इस छोटे पहाड़ से काफी सुन्दर चारो और का नजारा नजर आता है निचे आने के के बाद माता लक्ष्मी जी का मंदिर है जिसमे माता लक्ष्मी की काफी सुन्दर प्रतिमा है इसके ही ठीक पूरब में एक पिरामिड टाइप संरचना के आकर में मंदिर बना हुआ है जिसमे ६४ योग्निया की प्रतिमाये है इस मंदिर में भैरव की प्रतिमा है जिसके चारो और ही ६४ योगनी की प्रतिमा है जिसका पूजन अर्चन किया जाता है इस मंदिर के ठीक पूरब की और बाबा लक्ष्मीनाथ गीसाईं का मंदिर है जिसमे बाबा लक्ष्मी नाथ गोसाई की प्रतिमा है जिसका पूजन अर्चन किया जाता है मंदिर परिसार काफी शांत और रमणीक बना हुआ है मंदिर के ठीक उत्तर की और एक काफी बड़ा तालाब है जिसमे बोटिंग की भी सुबिधा है यहाँ दीपावली के अबसर पर काफी बड़े मेले का आयोजन होता हो मेला अक्सर १५ दिसम्बर से १५ जनबरी तक रहता है जिसमे देश के प्रमुख्य कोने से तरह तरह के सामानो की बिक्री होती है मेला के ग्राउंड में बड़े बड़े झुला मोत का कुआ ड्रेगन झुला आदि लगते है

इस मंदिर का नाम मत्स्यगंघा क्यों रखा गया इसके बाड़े में काफी मतभेद है शायद निशाद राज की पुत्री मत्स्यगंघा के नाम झील में मत्स्यगंघा  की भी कई प्रतिमाये है आप मंदिर से जैसे ही झील की और जायेंगे तो आपको मत्स्यगंघा की प्रतिमा नज पर ही इस झील या मंदिर का नाम मत्स्यगंघा रखा गया हैर आ जाएगी पहले मत्स्यगंघा की प्रतिमा काफी सुन्दर और अछे हालत में थे लेकिन अब मत्स्यगंघा की प्रतिमा कुछ पुराणी हो गयी है झील काफी बड़ा है जिसमे बोटिंग करने का काफी अच्छा आनद आता है

मंदिर के झील के दक्षिणी किनारे पर एक होटल भी है जहा आप रुक सकते है लेकिन सहरसा मुख्य शाहर में काफी निजी होटल है जहा आप को सस्ते रेट में रूम मिल् जायेंगे मंदिर में विवाह करवाने की भी सुबिधा है यहाँ काफी दूर दूर से लोग बिबाह करवाने आते है

मंदिर परिसर के आस पास ही पूजन सामग्रियों की काफी दुकाने है जहा फुल अवम पूजन सामग्री उपलध रहती है बगल में ही खाने पिने की भी दुकाने है यहाँ माता की चुनरी नारियल और फोटो भी उपलध है इस मंदिर को नए शक्तिपिठो की भी मानता मिली है  मंदिर काफी रमणीक है यहाँ आकार भक्त काफी शांति और सुकून महसूस करते है

मंदिर का ट्रस्ट भी है जिससे कई समाज सेवा के काम किये जाते है

इस मंदिर को विश्व स्तर पर लोग पयटन की दृष्टी से देखा जाता है पयटन विभाग की और से हर साल कोशी महोसब का भी आयोजन किया जाता है आप अपने जीबन में एक बार जरुर यहाँ आकार माता काली के दर्शन पूजन करे

लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज



रविवार, 23 फ़रवरी 2025

Most popular sun temple in india –सूर्यदेव देव मंदिर औरंगाबाद बिहार

Most popular sun temple in india –सूर्यदेव देव मंदिर औरंगाबाद बिहार

 

 


सूर्य देव मंदिर औरंगाबाद बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के देव में है जहा जाने के लिए आपको पहले बिहार की राजधानी पटना आना होगा  सड़क मार्ग से जाने के लिए पटना से देव औरंगाबाद की दुरी करीब १६० किलोमीटर है देव  के लिए पटना से हर समय  बस की सुविधा उपलध है जो अरवल ब्रिक्रम से होकर गुजरता है यह n h ९६ पर है  रेल से जाने के लिए आपको अनुग्रह नारायण रोड देव रेलवे स्टेशन जाना होगा जो चारो और से ज़ुरा हुआ है जहा से मंदिर की दुरी लगभग ३० किलोमीटर है जहा से आप बस या टैक्सी से देव मंदिर आशानी से जा सकते है  हवाई मार्ग से जाने के लिए आपको बिहार की राजधानी पटना का लोकनायक जयप्रकाश हवाई अड्डा नजदीकी हवाई अड्डा है जहा से देव की दुरी ४ घंटे में तय की जा सकती है यहाँ जाने के लिए दानापुर से भी हमेशा बस की सुविधा उपलध रहती है बस का किराया लगभग २०० से ३०० लगता है आप अपनी सुविधा के अनुसार जासकते है

सूर्यदेव देव मंदिर भारत के बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के देव नामक स्थान पर है यह औरंगाबाद शहर  से १० किलोमीटर की दुरी पर है  यह मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो हिन्दू देवता सूर्य देव को समर्पित है यह सूर्य मंदिर अन्य सूर्य या मंदिरों की तरह पूर्व की और मुख्य बाला नहीं है इस सूर्य मंदिर का मुख्य पूर्व की और नहीं होकर पश्चिम की दिशा की और है यह मंदिर हिन्दू देवता सूर्य देव का ही मंदिर है

देव का सूर्य मंदिर अपनी पुरानी अनूठी शिल्प कला के लिए प्रसिध्य है इस सूर्य मंदिर को पथरो को काफी सुन्दर ढंग से तराश कर बनाया गया है इस मंदिर की नक्काशी की कला काफी सुनदर है यह मंदिर निर्माण की कला का वेजोड़ नमूना है इस मंदिर के निर्माण का काल इतिहासकार छटी से सातवी सदी के बिच होने का अनुमान करते है जबकि पोरानिक कहानी के अनुसार  यह सूर्य मंदिर का निर्माण द्वापर युग या काल का बताते है  मंदिर के निर्माण के बारे में काफी मत भेद है लेकिन इस सूर्य मंदिर का निर्माण द्वापर युग में ही हुआ होगा

कहते है की इस सूर्य मंदिर का निर्माण कृष्ण के पुत्र साम्भ ने करवाया था कृष्ण के पुत्र साम्भ के द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में से यह एक है इस सूर्य मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है की देव माता अदिति ने की थी इस सूर्य मंदिर के कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब देवता राक्षसो के हाथ हार गए थे तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की कामना से देवरण में छठी मैया की आराधना की थी तव छठी मैया ने उन्हे सवगुन संपन पुत्र होने का बरदान दिया था इसके उपरांत त्रिदेव रूप में सूर्य भगवान प्रगट हुआ थे जिहोने असुरो पर देवताओ को विजय दिलवाई थी उसी समय से इस स्थान का नाम देव हो गया था और छठ की परंपरा सुरु हुआ था इस मंदिर में सूर्य की पूजा आराधना होती है

इस मंदिर में पूजा करने के लिए पुरे साल भर भक्त आते है किन्तु बिहार और उत्तेर प्रदेश के भक्त ज्यादा छठ के समय यहाँ आते है इस समय यहाँ काफी भीड़ जमा होती है यहाँ प्रति दिन हजारो भक्त आते है यहाँ खास कर शनिबार के दिन यहाँ भक्त हवन और पूजन के लिए आते है प्राचीन मानता है की जो भक्त यहाँ आता है वो कभी भी यह इस सूर्य मंदिर से खाली हाथ लोट कर नहीं जाता है जब भक्तो को मनो बांछित फल की प्राप्ति होती है तब यहाँ आकर भक्त कार्तिक या चेत्र के महीने में आकर छठ पूजा करते है ऐसा माना जाता है की इस मंदिर को 100 फुट लम्बा और चोरा बनाया गया है जिसमे छाता की तरह शीर्ष स्थान है यहाँ भगवान् सूर्य की पूजा करने और ब्रहम कुंद में स्नान करने की परम्परा है यह तीर्थ यात्री विदेशो से भी इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते है विशेष कर यहाँ छठ के समय काफी भीड़ होती है यह सूर्य मंदिर देश के बारह सूर्य मंदिरों में प्रमुख्य है आप यहाँ एक बार जरुर आकर सूर्य भगवान् का दर्शन पूजन करे

 

लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

यह लेख स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज की निजी लेख है अंडर कॉपीराइट एक्ट के अधीन है


Most famous temple in india -मीनाक्षी मंदिर: तमिलनाडु का भव्य सांस्कृतिक चमत्कार

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