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सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा -THE MOST FAMOUS TEMPLE IN BIHAR -

THE MOST FAMOUS TEMPLE IN BIHAR - श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा  

श्री रक्त काली मंदिर,मत्स्यगंघा सहरसा कोशी क्षेत्र के सहरसा जिले के मुख्य शहर के उतरी छोर पर है यह मंदिर सहरसा रेलवे स्टेशन से करीब ३ किलोमीटर उतर दिशा में है यहाँ आने के लिए आपको सहरसा आना होगा सहरसा के लिए देश के हर कोने से रेलवे की सुविधा है आप देश के किस्सी भी कोने से रेल सड़क या हवाई मार्ग से  पहले बिहार की राजधानी पटना पहुचे जहा से सहरसा शहर की दुरी २३४ किलोमीटर है आप यहाँ आने के लिए रेल सड़क दोनों मार्ग चुन सकते है पटना से प्रतिदिन ट्रेन सुबह ७,१५ बजे इंटरसिटी एक्सप्रेस  अवम १२.३० बजे राजरानी एक्सप्रेस सीधी ट्रेन सहरसा जंक्शन आती है  अवम दानापुर  तथा पाटलिपुत्र से भी ट्रेन प्रतिदिन सहरसा आती है इन ट्रेनों से आप सहरसा पहुच सकते है

सड़क मार्ग से आप बस से भी सहरसा पहुच सकते है सहरसा बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से आपको ऑटो या इ रिक्शा मंदिर के लिए सीधे मिल जाएगी जहा का किराया लगभग २० रूपया है आप सीधे मंदिर परिसर पहुच सकते है

      सहरसा शहर में यह एक प्रमुख्य पूजा स्थल के रूप में बिकसित किया गया है एक बंजर जल भराव के क्षेत्र को इक खुबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में बिकसित किया गया है इस जगह को मंदिर का रूप अवम वीरान झील को बिकसित करने का कार्य सहरसा के पूर्व डीएम श्री ट न लाल दास ने किया था इस मंदिर को जन सहयोग से बनबाया गया मंदिर नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर के तर्ज पर निर्मित किया गया है मुख्य मंदिर में माता काली की प्रतिमा है  इस परिसर में कई और मंदिर है मुख्य मंदिर काफी सुन्दर और भव्य बना हुआ है मुख्य मंदिर के ठीक उत्तर की और बाबा कारू खिरहर का मंदिर है जिसमे बाबा कारू खिरहर की प्रतिमा है मंदिर के बाहर और भीतर भी बाबा कारू की प्रतिमा लगी हुआ है मन्दिर के बगल में उत्तर की ही और से माता दुर्गा का भी मंदिर है  मुख्य मंदिर के ठीक पश्चिम की और से शिव मंदिर है जिसमे पारद का शिवलिंग है इसके दक्षिण की और नव ग्रहों की भी मंदिर है मुख्य मंदिर के ठीक पश्चिम की और भगवान श्री हनुमान जी का मंदिर है इसके बगल में हवन कुंद भी है जहा भक्त से समय समय पर पुजारियों से अपने मंगल के लिए हवन भी करवाया जाता है इसके दक्षिण में श्री राधा कृष्ण जी का मंदिर है इसमें राधा और कृष्ण जी की प्रतिमा है इसके पीछे एक छोटा सा पहार बनबाया गया है जिस पर विना के सकल में एक ढाचा निर्मित है जिसमे माता सरसवती का मंदिर है इस छोटे पहाड़ से काफी सुन्दर चारो और का नजारा नजर आता है निचे आने के के बाद माता लक्ष्मी जी का मंदिर है जिसमे माता लक्ष्मी की काफी सुन्दर प्रतिमा है इसके ही ठीक पूरब में एक पिरामिड टाइप संरचना के आकर में मंदिर बना हुआ है जिसमे ६४ योग्निया की प्रतिमाये है इस मंदिर में भैरव की प्रतिमा है जिसके चारो और ही ६४ योगनी की प्रतिमा है जिसका पूजन अर्चन किया जाता है इस मंदिर के ठीक पूरब की और बाबा लक्ष्मीनाथ गीसाईं का मंदिर है जिसमे बाबा लक्ष्मी नाथ गोसाई की प्रतिमा है जिसका पूजन अर्चन किया जाता है मंदिर परिसार काफी शांत और रमणीक बना हुआ है मंदिर के ठीक उत्तर की और एक काफी बड़ा तालाब है जिसमे बोटिंग की भी सुबिधा है यहाँ दीपावली के अबसर पर काफी बड़े मेले का आयोजन होता हो मेला अक्सर १५ दिसम्बर से १५ जनबरी तक रहता है जिसमे देश के प्रमुख्य कोने से तरह तरह के सामानो की बिक्री होती है मेला के ग्राउंड में बड़े बड़े झुला मोत का कुआ ड्रेगन झुला आदि लगते है

इस मंदिर का नाम मत्स्यगंघा क्यों रखा गया इसके बाड़े में काफी मतभेद है शायद निशाद राज की पुत्री मत्स्यगंघा के नाम झील में मत्स्यगंघा  की भी कई प्रतिमाये है आप मंदिर से जैसे ही झील की और जायेंगे तो आपको मत्स्यगंघा की प्रतिमा नज पर ही इस झील या मंदिर का नाम मत्स्यगंघा रखा गया हैर आ जाएगी पहले मत्स्यगंघा की प्रतिमा काफी सुन्दर और अछे हालत में थे लेकिन अब मत्स्यगंघा की प्रतिमा कुछ पुराणी हो गयी है झील काफी बड़ा है जिसमे बोटिंग करने का काफी अच्छा आनद आता है

मंदिर के झील के दक्षिणी किनारे पर एक होटल भी है जहा आप रुक सकते है लेकिन सहरसा मुख्य शाहर में काफी निजी होटल है जहा आप को सस्ते रेट में रूम मिल् जायेंगे मंदिर में विवाह करवाने की भी सुबिधा है यहाँ काफी दूर दूर से लोग बिबाह करवाने आते है

मंदिर परिसर के आस पास ही पूजन सामग्रियों की काफी दुकाने है जहा फुल अवम पूजन सामग्री उपलध रहती है बगल में ही खाने पिने की भी दुकाने है यहाँ माता की चुनरी नारियल और फोटो भी उपलध है इस मंदिर को नए शक्तिपिठो की भी मानता मिली है  मंदिर काफी रमणीक है यहाँ आकार भक्त काफी शांति और सुकून महसूस करते है

मंदिर का ट्रस्ट भी है जिससे कई समाज सेवा के काम किये जाते है

इस मंदिर को विश्व स्तर पर लोग पयटन की दृष्टी से देखा जाता है पयटन विभाग की और से हर साल कोशी महोसब का भी आयोजन किया जाता है आप अपने जीबन में एक बार जरुर यहाँ आकार माता काली के दर्शन पूजन करे

लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज



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