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मंगलवार, 4 मार्च 2025

कन्दाहा का सूर्य मंदिर -एक अनुपम आलोकिक सूर्यमंदिर

 

कन्दाहा का सूर्य मंदिर एक अनुपम आलोकिक सूर्यमंदिर

कन्दाहा का सूर्य मंदिर  बिहार राज्य के सहरसा जिले के महिषी ब्लाक में है यहाँ जाने के लिए आपको देश के किसी भी कोने से बिहार की राज्यधानी पटना आना होगा जहा से आपको सहरसा के लिए रेल सड़क की पूरी सुविधा उपलध है आप देश के किसी भी कोने से पटना या सीधे सहरसा पहुचे सहरसा पुरे देश से सड़क और रेल मार्ग से पूरी तरह ज़ुरा हुआ है आप अपनी सुविधा के अनुसार सहरसा पहुचे सहरसा हवाई मार्ग से सीधे ज़ुरा हुआ नहीं है यहाँ  आने के लिए के लिए आपको बिहार के पटना के हवाई अड्डा या दरभंगा के हवाई अड्डा आना होगा जहा से सहरसा आप सीधे रेल या सड़क से आ सकते है पटना से सहरसा की दुरी २१४ किलोमीटर और दरभंगा से सहरसा की दुरी 100 किलोमीटर है जहा से हर समय बस या ट्रेन सहरसा के लिए मिल जाती है

कन्दाहा का सूर्य मंदिर सहरसा रेलवे स्टेशन से करीब १२ किलोमीटर की दुरी पर पश्चिम की और है सहरसा से हर समय कन्दाहा सूर्य मंदिर जाने के लिए आपको ऑटो मिल जाएगी जो आपको सीधे कन्दाहा का सूर्य मंदिर के मंदिर परिसर पंहुचा देगी

कन्दाहा का सूर्य मंदिर कन्दाहा पंचायत में है सहरसा से जब आप अपने वाहन से या ऑटो से  कन्दाहा का सूर्य मंदिर की और जायेंगे तो आपको सीधे सड़क से  महिषी जाने बालि सड़क से जाना होगा आगे बनगाव् से करीब २ किलोमीटर आगे एक गोरहो चौक मिलेगा जहा से आप उत्तेर की और मुर कर जाने बालि सड़क से सीधे कन्दाहा की और चले जायेंगे  जहा से कन्दाहा का सूर्य मंदिर बिलकुल सड़क के किनारे ही उत्तेर की और है सामने गेट बना हुआ है मंदिर के अन्दर आप जैसे प्रवेश करेंगे आप को एक अजीब सी अनुभूति का होगी इस मंदिर के परिसर में सूर्य के गर्मी का कोई पता नहीं चलेगा

कन्दाहा का सूर्य मंदिर भगवान् कृष्ण के पुत्र साम्भ ने बनबाया था कहते है की जब साम्भ कुस्ट रोग से पिरित हो गए थे तब उसने देश के बिभिन जगहों पर सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था जिससे उसे इस कुश्ट रोग से मुक्ति मिली थी इस कन्दाहा का सूर्य मंदिर के परिसर में एक कुआ है कहते है की इस कुआ के जल से स्नान करने से और सूर्य भगवान् का चरणामृत पिने से सफ़ेद दाग या  चरम रोग से मुक्ति मिल जाती है  जिसके कारन यहाँ भक्त सच्चे मन से यहाँ अपनी मनोकामनाय लेकर यहाँ सूर्य मंदिर पहुचते है यहाँ आने के बाद भक्तो की मनोकामनाए जरुर पूरी होती है यहाँ के सरोवर में कार्तिक और चेत्र महीने में छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है  कन्दाहा का सूर्य मंदिर काफी पुराना है इस मंदिर के मुख्य गेट पर लगे शिला लेख्य को आज तक कोई पढ़ नहीं पाया है इस मंदिर के अन्दर मुख्य रूपसे सूर्य देव की मूर्ति है जिसमे काले पथरो से निर्मित भगवान् सूर्य की प्रतिमा है मंदिर के मूर्ति का निर्माण शायद द्वापर युग में हुआ होगा इसकी शेली प्राचीन नगर शेली से काफी मिलती जुलती है मंदिर एक उचे टीले पर बना हुआ है इसके चारो और काफी शांति महशुस होता है यहाँ पूजन के लिए यहाँ के पुजारी हर समय उपलध रहते है जो आपको मामूली शुल्क पर यहाँ पूजा करवा देंगे

कन्दाहा का सूर्य मंदिर काफी सुन्दर और रमणीक है यहाँ का धीरे धीरे बिकास हो रहां है मंदिर को काफी बिकास की जरुरत है मंदिर के परिसर में कई छोटे छोटे और मंदिर है जिसमे आप दर्शन पूजन कर सकते है

कन्दाहा का सूर्य मंदिर गाँव में होने के कारन यहां रहने की कोई सुविधा नहीं है  यहाँ बगल में कुछ फुल और प्रसाद की छोटी दुकाने है मंदिर के आस पास भोजन अवम खाने पिने की कोई सुविधा नहीं है यहां से थोरी दूर पर गोरहो  चौक पर खाने पिने की कुछ दुकाने है जहा आप जाकर खा पि सकते है  आप दर्शन पूजन कर बापस सहरसा शहर आकर यहाँ रुक सकते है सहरसा शहर में काफी निज्जी होटल है जहा काफी किराये पर रुम आशानी से मिल जाते है कन्दाहा का सूर्य मंदिर आस पास काफी सुन्दर प्राकृतिक नज़ारे है कुछ ही दुरी पर महिषी का तारा पीठ  कारू बाबा का स्थान देवन बन महांदेव मंदिर कोशी नदी पास में ही है जहा जाकर आप धूम सकते है

कन्दाहा का सूर्य मंदिर आने के बाद आप पुरे सहरसा के सभी दर्शनीय स्थलों के दर्शन के लिए आप लोकल टेक्सी रिजर्व कर ले जो आपको पुरे सहरसा जिले के सभी दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करवा देगा

 

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लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

यह लेख कॉपीराईट एक्ट के अधीन है

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