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सोमवार, 10 मार्च 2025

माँ ज्वाला देवी मंदिर: एक दिव्य जागृत शक्तिपीठ+

माँ ज्वाला देवी मंदिर: एक दिव्य जागृत शक्तिपीठ+

माँ ज्वाला देवी मंदिर: एक दिव्य शक्तिपीठ

भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में कई अद्भुत स्थल हैं, जो धार्मिक आस्था और विश्वास के प्रतीक हैं। इनमें से एक प्रमुख और अद्भुत स्थान  माँ ज्वाला देवी मंदिर है, जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण जागृत शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है और देश ही नहीं विदेशो से भी लाखों श्रद्धालु हर साल यहाँ देवी माँ ज्वालाजी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं।

माँ ज्वाला देवी का मंदिर अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है, यहाँ देवी की पूजा अर्चना का तरीका और मंदिर के अंदर की ज्वालाएँ एक अनोखा अनुभव प्रदान करती हैं। यह मंदिर एक शक्तिपीठ होने के नाते अपने श्रद्धालुओं को मानसिक और आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ शारीरिक बल और समृद्धि की भी प्राप्ति कराता है।

इस अपने ब्लॉग में हम माँ ज्वाला देवी मंदिर के इतिहास, धार्मिक महत्व, पूजा विधि, वास्तुकला, और इस स्थल से जुड़े प्रमुख तथ्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

माँ ज्वाला देवी का इतिहास

माँ ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर माता  देवी ज्वाला को समर्पित है, जो माता दुर्गा का ही एक रूप मानी जाती हैं। कहा जाता है कि माता देवी ज्वाला यहाँ अपने दिव्य अग्नि रूप में प्रकट हुई थीं। इसके अलावा, कुछ कथाएँ यह भी कहती हैं कि यहाँ की ज्वालाएँ सैकड़ों वर्षों से निरंतर जल रही हैं, जो इस स्थान की दिव्यता को और भी प्रगाढ़ करती हैं।यह शक्तिपीठ पुरे देश में एक जागृत और प्रत्यक्ष रूप में माता के रूप में यहाँ विराजित है यह माता सती या माँ दुर्गा का एक ही रूप है यहाँ माता सती की जिह्वा गिरी थी जिसके कारन यह माता का मंदिर ५१ शक्तिपिठो में प्रमुख्य स्थान रखता है यहाँ माता के जिह्वा ही दिव्य ज्योति के रूप में अनादी काल से प्रज्वलित है माता के इसी दिव्य ज्योति को माता ज्वाला जी के रूप में पूजा जाता है मंदिर के अन्दर माता के नो रूपों में नो ज्वालाए है जो माता दुर्गा के नो रूपों में पूजित है

माँ ज्वाला देवी का मंदिर कांगड़ा घाटी के प्रसिद्ध देव तीर्थ स्थलों में से एक है, और यह धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस मंदिर के बारे में विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। देवी ज्वाला को ही माता  ज्वाला जी  के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन के तमाम कष्टों और संकटों को दूर करने में सहायक मानी जाती हैं।

यह मंदिर कांगड़ा के प्रसिद्ध पहाडी के पास स्थित है और यहाँ देवी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर का इतिहास कई प्रमुख घटनाओं और किवदंतियों से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी रोचक और धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र बनाती हैं।

माँ ज्वाला देवी का धार्मिक महत्व

माँ ज्वाला देवी मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के एक शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। शक्तिपीठ वह स्थल होते हैं, जहाँ देवी के शरीर के विभिन्न भागों की पूजा की जाती है। माँ ज्वाला देवी का मंदिर विशेष रूप से इस कारण प्रसिद्ध है कि यहाँ देवी की ज्वाला, जो अग्नि रूप में प्रकट होती है, प्रकट हो रही है। यहाँ की ज्वालाएँ एक अद्भुत चमत्कार की तरह मानी जाती हैं और इन्हें देवी का रूप माना जाता है।

माँ ज्वाला देवी की पूजा से जीवन की सभी कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति मिलती है। लोग यहाँ आकर अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक परेशानियों, मानसिक तनाव, और अन्य व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। मान्यता है कि यहाँ देवी के दर्शन करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और वे सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि के समय, माँ ज्वाला देवी के मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, जिसमें पूजा और अनुष्ठान के साथ भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस दौरान मंदिर में विशेष अनुष्ठान और हवन होते हैं, और देवी के साथ-साथ अन्य देवताओं की पूजा की जाती है।

माँ ज्वाला देवी मंदिर की पूजा विधि

माँ ज्वाला देवी की पूजा विधि अन्य मंदिरों की पूजा विधि से कुछ अलग है। यहाँ की मुख्य विशेषता यह है कि देवी ज्वाला की पूजा अग्नि रूप में की जाती है। मंदिर में देवी के मुख्य मंदिर में जलती हुई ज्वालाएँ हैं, जिन्हें देवी के नो रूपों  का प्रतीक माना जाता है।

पूजा की शुरुआत दीप जलाकर और नैवेद्य अर्पित करके की जाती है। इसके बाद भक्त देवी के चरणों में फूल अर्पित करते हैं और अपनी मन्नतें देवी से पूरा करने की प्रार्थना करते हैं। यहाँ विशेष पूजा अनुष्ठान और हवन भी होते हैं, जो भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करते हैं।


मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम को विशेष आरती का आयोजन किया जाता है। इस समय, मंदिर परिसर में भक्तों का भारी तांता लगता है, और वे देवी के दर्शन के साथ-साथ भजन-कीर्तन करते हैं। नवरात्रि के समय विशेष पूजा-अर्चना और महोत्सव होते हैं, जो श्रद्धालुओं को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।

माँ ज्वाला देवी मंदिर की वास्तुकला

माँ ज्वाला देवी मंदिर की वास्तुकला बेहद आकर्षक और भव्य है। मंदिर के भवन में पारंपरिक हिंदू शैली का उत्कृष्ट मिश्रण देखने को मिलता है। यहाँ के मुख्य भवन में देवी ज्वाला की प्रतिमा स्थित है, जो एक खूबसूरत एवं दिव्य रूप में प्रकट होती है। मंदिर के भीतर के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखा जाता है, जिससे यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को एक शांति और पवित्र वातावरण का अनुभव होता है।

मंदिर के आंगन में एक विशाल स्तंभ है, जो मंदिर की सुंदरता को और भी बढ़ाता है। इसके अलावा, यहाँ के चारों ओर हरियाली और बगीचे हैं, जो मंदिर को एक और सुंदर वातावरण प्रदान करते हैं। मंदिर के भवन में पत्थर और लकड़ी का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है, जो इसे पारंपरिक और आधुनिक दोनों ही रूपों में आकर्षक बनाता है। माता ज्वाला जी के शयन कक्ष में होने बाले आरती में प्रितिदीन लाखो भक्त शामिल होते है माता के मंदिर का शिरा सोने से मढ़ा हुआ है जिसको पंजाब के महाराजा रंजित सिंह जी ने सोने से मढ़वाया था माता का मंदिर पूरी तरह से सोने के रंगों से रंग हुआ है

मुख्य मंदिर के आगे दो शेर की प्रतिमाये है माता ज्वाला के दर्शन एक चोकोर से भग में अलोकिक दिव्य ज्योति के रूप में होते है पुरे भारत में यही वो दिव्य मंदिर है जहा माता के प्रत्यक्ष दर्शन होते है  

माँ ज्वाला देवी मंदिर तक पहुँचने का मार्ग

माँ ज्वाला देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए पठानकोट या रानिताल और कांगड़ा शहर से बस, टैक्सी, या निजी वाहन द्वारा आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं। ज्वालाजी रोड  रेलवे स्टेशन और कांगड़ा रेलवे स्टेशन और सड़क तथा कांगडा हवाई अड्डा भी यहाँ से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं, जिससे यात्रा और भी सुविधाजनक हो जाती है। मंदिर तक पहुँचने के लिए एक सुंदर और शांति से भरा पहाडी रास्ता है, जो यात्रा को और भी रोमांचक बना देता है। आप पठानकोट जंक्शन या माँ ज्वालाजी रोड रेलवे स्टेशन या कांगड़ा रेलवे या कांगड़ा हवाई अड्डा आकर यहाँ से बस से माँ ज्वाला जी बस स्टैंड पहुच सकते है ज्वाला जी  बस स्टैंड से सीधे पूरब की और ही मात्र ५००मीटर की दुरी पर माता ज्वाला जी का विश्व प्रसिद्य मंदिर है

मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालु बस स्टैंड से पैदल भी जा सकते हैं, और कुछ दूरी तक चलने से उन्हें कांगड़ा घाटी के अनुपम पहाडी अद्भुत दृश्य का आनंद मिलता है। इसके अलावा ,बस स्टैंड के पास ही कई होटल और धरमशालाये है जहा आप को रूम किराये पर मिल जायेंगे    मंदिर के पास भी पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे श्रद्धालु अपनी गाड़ियों को पार्क करके मंदिर में दर्शन करने के लिए आराम से जा सकते हैं।

माँ ज्वाला देवी मंदिर का पर्यटक दृष्टिकोण

माँ ज्वाला देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर के आस पास भैरो मंदिर गोरखनाथ दिव्वी, नागार्जुरना मंदीर ,टेढ़ा राम मंदिर, महादेव मंदिर आदि प्रमुख्य मंदिर है यहाँ अकबर के समय में माता की ज्योति को बुझाने के लिए प्रयुख्त नहर के अबशेष भी है  जिनका  यहाँ आने वाले पर्यटक कांगड़ा घाटी और इसके आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों का भी आनंद लेते हैं। कांगड़ा किला, बैजनाथ मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल इस क्षेत्र के प्रमुख आकर्षण हैं। इसके अलावा, कांगड़ा के खूबसूरत पहाड़, झरने और हरियाली पर्यटकों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।

मेरा यात्रा अनुभव

मेने अपनी पैदल यात्रा माँ ज्वाला जी रेलवे स्टेशन से शुरू की थी यहाँ से माता का मंदिर ३५ किलोमीटर की दुरी पर है यहाँ से रानीताल से मुझे माता के मंदिर तक जाने में दो दिन का समय लगा रानीताल से माता के मंदिर का बिच का रास्ता काफी सुन्दर और सुहाबना है रास्ते में मेने हिमाचल प्रदेश के पुराने समय के घरो कप करीब से देखा यहाँ के निवाशी काफी अछे और मिलनसार प्रवृति के है रास्ता काफी सुन्दर और प्राकृतिक नाजरो से भरपूर है काफी सकूं और आनद आया रस्ते में कई और छोटे छोटे मंदिर है जिसका दर्शन पूजन करने का मुझे अबसर मिला म्रेरा जीवन धन्य हो गया में माता के मंदिर शाम के समय पंहुचा यहाँ स्नान करके माता ज्वाला जी दर्शन के लिए लाइन में लगकर पूजा किया माता के पूजन के बाद मंदिर परिसर के सभी मंदिरों में भी पूजन किया माता के मंदिर के ठीक पीछे ही एक मंदिर में अकबर के द्वारा चढ़ाया गया सोने का छात्र है जो अब अज्ञात धातु में परिणत हो गया है माता के मंदिर के परिसर में हवन कुंद है जिसमे हवन पूजन करके माता ज्वाला जी के ही भोजनशाला में प्रसाद ग्रहण किया अवम माता के शयन कक्ष में होने बाले संध्या कालीन आरती में सम्लित हुआ काफी सुन्दर और आधात्मिक अनुभूति का आनद लिया आप भी अपने जीवन में समय निकल कर एक बार जरुर माता ज्वाला जी के दर्शन पूजन हेतु यहाँ अबश्य आये

जय माँ ज्वाला जी जय माता दी जय भोलेनाथ हर हर महादेव

निष्कर्ष

माँ ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो न केवल धार्मिक आस्था और शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है, बल्कि अपनी अद्भुत वास्तुकला, पूजा विधियों और वातावरण के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए एक आदर्श स्थान है, जो मानसिक शांति, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।

यदि आप हिमाचल प्रदेश यात्रा पर जा रहे हैं, तो माँ ज्वाला देवी मंदिर की यात्रा आपके यात्रा अनुभव को और भी विशेष और यादगार बना सकती है

     लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

 ©यह लेख स्वामी निर्मल गिरी जी का निजी लेख है इस लेख को किसी भी तरह से बिना लेखक के अनुमति के प्रकाशित करना कानूनन अपराध है Top of Form

 

 

 


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