सोमवार, 30 दिसंबर 2024

त्र्यंमबकेश्वर ज्योतिलिंग एक अंकुरित ज्योतिलिंग

 

त्र्यंमबकेश्वर ज्योतिलिंग एक अंकुरित ज्योतिलिंग

 




 

त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग महारास्त्र के नासिक जिले में है यह भगवान् शिव का दसवा ज्योतिलिंग है त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग





का भव्य मंदिर महारास्त्र के नासिक में है यह मंदिर इंडो आर्यन शेली में बना हुआ है इस मंदिर का निर्माण काले पत्थर से हुआ है त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग नासिक शहर से ३० किलो मीटर की दुरी पर है त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग के शिव लिंग के दर्शन मात्र से ही मानुष के सभी पाप नस्त हो जाते है त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग शिवलिंग उभरा हुआ नहीं है इस शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनो देवो का संयुक्त रूप से निवास है  त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग की यही विशेसता उन्हें शभी ज्य्तिलिंग सी अलग से करती है

त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग के बिशय में इस कविता से इसके महत्व को समझा जा सकता है

त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग जैसा कोई पवित्र स्थान नहीं

गोवाबरी जैसा नदी नहीं

ब्रह्म गिरी जैसा पर्वत नहीं

त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग की कथा बहुत ही पुराणी है शिव महा पूरण के अनुसार एक बार ब्रह्मा विष्णु में विवाद हो गया वे विवाद को निपतारा के लिए भगवान् शिव के पास पहुचे भगवान् शिव ने इन दोनों का इम्त्यान लिया ब्रह्मा जी हार गए भगवान् विष्णु जित गए

भगवान् शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया की उनकी किसी नही जगह पूजा नहीं होगी और धरम क्रिया में कही जगह नहीं होगी उन्होंने भगवान् विष्णु को वरदान को आशीर्वाद दिया की वह लम्वे समय तक पूजे जायेगे त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग




भगवान् शिव का ही इक अंश है  भगवान् शिव के ज्योतिलिंग में यह प्रमुख्य है यहाँ दो प्रमुख्य स्थान है

1.श्री त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग

२.कुशावरत तीर्थ वो स्थान है जहा गोडावरी नदी का उद्गम स्थल है यह माना जाता है की इसमें स्नान करने से मनुष्य के साभी पाप धुल जाते है गोवाबरी नदी की उद्गम की कथा बरी ही निराली है भगवान् शिव का विवाह हो रहा था तभी ब्रह्मा जी का वीर्य पात हो गया था तव भगवान् शिव ने ब्रह्मा जी को कहा की आप स्नान करके सुधी हो जाये ब्रह्मा जी ने भगवान् शिव की सलाह मानकर गंगाजल से स्नान करके पवित्र हो गए तभी से भगवान् शिव यहाँ शिव लिंग के रूप में स्तापित हो गए थे तीनो देवो के साथ स्थापित होने के कारन इस ज्योतिलिंग का नाम त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग के रूप में प्रसिद्ध हो गये




त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर नासिक शहर से लगभग ३५ किलो मीटर की दुरी पर है यहाँ जाने के लिए आपको बस या ऑटो मिलजायेंगे बस का किराया लगभग ५० से ७० रुपये रहता है मंदिर तक आप बस या टेक्सी से आप पहुच सकते है गुजराती समुदाय ने यहाँ कई धरम शालाये बना रखे है जहा आप रह सकते है यहाँ कई निजी होटल भी है जहा आप रह सकते है

यहाँ आप यहा के निवासियों के यहाँ भी रह सकते है क्योकि यहां होम स्टे की सुविधा उपलध है भोजन की भी अचछी  सुविधा है  नासिक शहर से त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग के विच हमेसा राज्य परिवहन की बसे हमेशा चलती रहती है जिस से भी आप यहाँ जा सकते है मंदिर सुबह 5,३० से रात्रि के ९ बजे तक खुला रहता है त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग इक खुबसूरत जगह है यह समुद्र ताल से करिव ३००० मीटर की उचाई पर है सुवः से ही त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग के दर्शन के लिए लम्बी लाइन लग जाती है मंदिर का वाताबरण काफी सुन्दर और मन्त्र मुघ करने बाला है

त्र्यंमकेश्वर ज्योतिलिंग आने बाले पयटक के लिए नगर निगम जिम्मेदारी उडाता है मंदिर के आस पास कई और दरसनीय स्थान है जिनका आप दरसन कर सकते है यहाँ ब्रह्म गिरी पर्वत है जिस पर ट्रेकिंग का मजा लिया जा सकता है यहाँ के निवासी उपर पहाड़ पर भी रहते है इस पर्वत के उपर कई गुफाये है जिनमे पाताल गंगा गोरख नाथ ताप स्थली प्रमुख्य है जिसका आप उपर पर्वत पर जाकर दर्शन कर सकते है यहाँ से और कई दर्शनीय स्थानों की भ्रमण कर सकते है

लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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