श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग एक सुन्दर ज्योतिलिंग
श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग भगवान् शिव का आठवा ज्योतिलिंग है श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग का भव्य मंदिर द्वारिका पूरी से २५ किलोमीटर की दुरी पर दारुका वन में स्थित है भगवान शिव की गाथा और भक्ति की महिमा काफी सुन्दर है भगवान् शिव का श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग गुजरात के द्वारिका जिले में है श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग की काफी महिमा है भगवान् शिव पुरे जगत में सर्व जगह व्याप्त है इनके स्मरण मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग की महिमा सारे संसार में प्रसिध्य है श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग का दर्शन पूजन कर हर प्राणी कृताथ हो जाता है
श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग की स्थापना की कथा बरी ही रोचक और दिलचस्प है कहा जाता है की एक बार दारुका नाम के राक्षसी ने घोर तपश्या किया था माता पार्वती ने दारुका की तपश्या से खुश होकर उसे दर्शन दिए माता पार्वती से बरदान पाकर दारुका अहंकार में चूर हो गयी थी उस समय पृथ्वी पर राक्षसों का सम्राज था वह साधुओ का यजय को विव्द्हंस कर देते थे राक्षसों ने अनेक संत को मार डाला था सभी राक्षस हिन्दू धरम को नस्त्र करने में लगे हुआ थे दारुका राक्षसी समुन्द्र के किनारे एक वन में निवास करती थी
राक्षस आम जनता पर काफी अत्याचार कर रहें थे ऋषि लोग
राक्षसों के अत्याचार से तंग होकर महर्षि आर्व के पास गए उन्होंने महर्षि से सारा हाल कहा महर्षि ओरव क्रोधित हो उठे
उन्होंने पुरे राक्षस जाती को श्राप दे दिया
अब यदि राक्षस मनुष्य को सताएगा तो बो राक्षस अपने जान से हाथ धो बेठेगा राक्षसों
में खल बलि मच गयी देवताओ को जब महर्षि के शाप की जानकारी मिली तो देवताओ ने राक्षसों
पर आक्रमण कर दिया
सभी राक्षस दुबिधा में पर गए वह अगर युध्य में देवताओ को मारेंगे तो वो खुद मर जायेंगे अगर नहीं मारेंगे तो पराजित होकर देवताओ के अधीन हो जायेंगे इस विकट समय में राक्षसों ने दारुका से मदद मांगी दारुका ने राक्षसों को सहारा दिया सभी राक्षस दारुका के साथ बन में रहने लगे वह वन हमेशा दारुका के पास रहता था माता पार्वती ने दारुका को इस वन की देखभाल की जिम्मेदारी सोपी थी दारुका ने माता पार्वती के बरदान का उपयोग करते हुइ वन को समुन्द्र में स्थापित कर दिया था राक्षसों ने पृथ्वी पर रहना छोर दिया था वह दारुका के साथ समुन्द्र में निर्भय होकर रहने लगे
सुप्रिय नाम का इक ब्राह्मण भगवान शिव का परम भक्त
था वह अपने नाव से कही जा रहा था अचानक राक्षसों ने उसके नाव पर हमला कर दिया सभी मुसाफिर यात्री राक्षसों
का मुकाबला नहीं कर सके थे राक्षसों ने सभी को बंदी बना कर कारागार में दाल दिया
सुप्रिय बड़ा ही सदाचारी भक्त था वह ललाट पर सदा भस्म लगाता था और गले में रुद्राक्ष की माला पहनता था सुप्रिय भगवान् शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करता था उनोने उन यात्रियों का भी ध्यान पूजा अर्चना की तरफ कर दिया था वे सभी यात्री भी शिव भक्त बन गए थे सुप्रिय हमेशा भगवान् शिव की ही आराधना में लीं रहता था कारागार में भी भगवान् शिव का भजन पूजन होने लगा था
राक्षसों को जब इसका पता चला तो तब वह आक्रोशित हो
गए उनोने सुप्रिय को मार डालने का फैसला किया राक्षसों कारागार में पहुच गए सुप्रिय
ध्यान लगाये बैठा था राक्षसों ने यात्रिओ को धमकाना सुरु कर दिया राक्षसों ने सुप्रिय
से पूजा बंद करने को कहा सुप्रिय पर राक्षसों के बातो का कोई असर नहीं हुआ वाह मन्त्र
जाप करता रहा राक्षसों ने सुप्रिय को मरने के लिए दोरे
सुप्रिय भय भीत नहीं हुआ वह भगवान् शंकर को अपनी रक्षा
के लिए पुकारने लगा भगवान् शंकर प्रकट हुआ भगवान् शंकर ने सभी राक्षसों का संहार किया
तभी से सुप्रिय के कहने पर भगवान् शिव वहा ज्योतिलिंग के रूप में स्थापित हो गए भगवान्
शंकर के आज्ञा की अनुसार ही इस ज्योतिलिंग का नाम नागेश्वर ज्योतिलिंग पडा
द्वारिका से बस नागेश्वर ज्योतिलिंग तक जाती है द्वारका
रेलवे स्टेशन से यह जाने के लिए छोटे छोटे बाहान भी मिलते है जिसका किराया ३० से ५०
रूपये तक होता है यात्रा के दोरान रास्ते में काफी कुदरती नजरो का दर्शन होता है ज्योतिलिंग
के दर्शन पूजन करके शिव भक्त कृताथ हो जाते है नागेश्वर मंदिर काफी पवित्र माना जाता
है यहाँ के वताबरण में सदा ही वेड मंत्रो और
स्तुतिया गूंजती रहती है पुजारियों के दल सदा पूजा पाठ में लीं रहते है शिव भक्त स्नान
करके ज्योतिलिंग पर जल अर्पण करते है मंदिर में पूजा पाठ करवाने की भी सुविधा है शिब
भक्त पुजारियों को दक्षिणा देकर पूजा पाठ करवा सकते है नागेश्वर में कोई रहने की खास
सुविधा नहीं है आप पुनः द्वारिका लोट कर यह रुक सकते है यह छोटे छोटे होटल है जिनका
किराया काफी रहता है आप अपनी सुविधा के अनुसार
यहाँ भी रुक सकते है लेकिन बेहतर होगा की आप
द्वारिका लोट कर ही विश्राम करे यहा के होटलों में खाने पिने की सुविधा है जो आप आपको
सस्ते दर पर भोजन करवा देंगे आस पास कई धरम
शालाये भी है जहा आप रुक सकते है श्री नागेश्वर ज्योतिलिंग का मंदिर काफी सुन्दर और
आकर्षक है जो शिव भक्तो का मन मोह लेते है यहाँ शिव रात्रि के अबसर पर एक विशाल मेले
का आयोजन किया जाता है कहा जाता है की कभी इस दारुका वन में नागो का निवास स्थान था
जिसके कारन नागो से यह दारुका वन भरा परा था सभी नाग मनुष्यों से दुरी बना कर रहते
थे लेकिन उन नागो के इस्वर भगवान शिव के होने के कारन इस ज्योतिलिंग का नाम नागेश्वर
पडा था आप यहाँ आकर यहाँ के जंगली नजरो का लुफ्त जरुर लें क्योकि यह क्षेत्र अभी भी
जंगलो से भरा पड़ा है ;जय नागेश्वर ज्योतिलिंग की ]
लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज
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