श्री बड़ी पटनदेवी मंदिर पटना बिहार
बड़ी पटनदेवी मंदिर पटना बिहार बिहार के पटना जिले
के पटना सिटी अंचल के गुलजारबाग क्षेत्र में अबस्थित है यहाँ जाने के लिए आपको बिहार
की राजधानी पटना आना होगा पुरे देश के सभी भागो से पटना रेल सड़क हवाई मार्ग से ज़ुरा
हुआ है
रेल मार्ग
से आने के लिए के लिए आपको पटना आना होगा जहा से आप ट्रेन से गुलजारबाग रेलवे
स्टेशन पहुचे जहा से बड़ी पटनदेवी मंदिर की दुरी करीब 1.5 किलोमीटर है जहा आप पैदल भी
जा सकते है आप गलियों से होकर बड़ी पटनदेवी मंदिर की जा सकते है मंदिर काफी प्राचीन
था परन्तु मंदिर की देख रेख करने बालो ने अब मंदिर का नव निर्माण करवाया है मंदिर के
अन्दर माता सती की अंगो की प्राचीन प्रतिमा है मंदिर में आप कतार में लग कर माता के
दर्शन पूजन कर सकते है मंदिर के प्रागन में भगवान शिव समेत कई और मंदिर है जिसमे आप
पूजन अर्चन कर सकते है मंदिर में पूजा के लिए पुजारी हर समय उपलध रहते है जिससे आप
पूजन अर्चन करवा सकते है
सड़क मार्ग से आने के लिए भी आपको पटना सिटी आना होगा
मंदिर मुख्य सड़क से 1.5 किलोमीटर की दुरी पर दक्षिण की और है मुख्य सड़क से आप ऑटो या
टेक्सी के द्वारा मंदिर परिसर पहुच सकते है मंदिर का मुख्य गेट सडक के दक्षिण की और
बना हुआ है जहा से आप पैदल भी आ सकते है मंदिर परिसर में काफी पूजन सामग्रियो की दुकाने
है जहा नारियल चुनरी और सभी तरह के पूजन सामग्री
मिलता है जहा से आप पूजन के लिये फुल नारियल चुनरी खरीद सकते है माता का मंदिर
काफी छोटा है मुख्य शहर में होने के कारन मंदिर एक छोटे परिसर में है आस पास काफी दुकाने
है
यहाँ हवाई मार्ग से आने के लिए आप को पटना के लोकनायक
हवाई अड्डा आना होगा जो पटना शहर के फुलबारी सरीफ में है जहा बड़ी पटनदेवी मंदिर
आने के लिए बस ऑटो और टेक्सी आसानी से मिल जाती है जो आपको मुख्य सड़क या मंदिर परिसर
तक पंहुचा देगी
यह मंदिर पटना शहर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध
मंदिर में से एक है इस मंदिर को भारत के ५१ प्रमुख्य शक्तिपिठो में से एक मन जाता है
पुँरानो के अनुसार यहाँ माता सती की दाहिनी जंघा गिरी थी माँ पतन देवी मंदिर माता दुर्गा
का ही मंदिर है जिसे पटनेस्वरी देवी या बड़ा पटन देवी के नाम से जाना जाता है
पोरानिक कथाओ के अनुसार माता सती के अग्नि में
आत्यम दाह करने के बाद जब भगवान् शिव उनकी देह को लेकर तांडव कर रहे थे तव भगवान् विष्णु
ने भगवान् शिव का गुस्सा संत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह को
काटना शुरू किया था इस दोरान जहा जहा माता सती के शारीर के अंग गिरे थे वहा वहा माता
के शक्तिपीठ की स्तापना की गयी थी जिसमे यहाँ के मंदिर को माता के पातन होने के कारन
पटनेस्वरी देवी या बड़ी पटन देवी का नाम दिया गया जिसके कारन यह मंदिर बड़ी पटन देवी
मंदिर के रूप में प्रचलित हुआ
माता के इस
बड़ी पटनदेवी मंदिर के बारे में कहानी है की जब भगवान् शिव माता सती के सरीर को लेकर
आकाश में विचार रहे थे तब माता सतीके अंग यहाँ गिरे थे जिसके कारन यहाँ माता सती
के अंग यहाँ गिरे थे जहा माता के अंगो पर मंदिर का निर्माण करवाया गया था देश के ५१
शक्तिपिठो में इसका भी नाम आता है यहाँ पुरे देश ही नहीं पुरे विदेश से पर्यटक दर्शन
पूजन करने आते है मंदिर का नव निर्माण करवाया गया है मंदिर में माता की चाँदी की प्रतिमा
है जिसका दर्शन पूजन किया जाता है
विजयादशमी के अबसर पर यहाँ
काफी सुन्दर मेला का आयोजन किया जाता है दुर्गा पूजा के अबसर पर यहाँ भक्तो के द्वारा
फल और मिठाई माता को भोग लगाने अवम चढाने के लिए भक्त लेट है जिसे पूजा के बाद भक्तो
को बापस कर दिया जाता है जिसे भक्त अपने घर प्रसाद के रूप में ले जाते है इसके साथ
ही पुजारी भक्तो के माथे पर रोली का टिका भी लगाते है
लेखक स्वामी निर्मल गिरी
जी महाराज
लेखक स्वामी निर्मल गिरी जी
महाराज
©यह लेख स्वामी निर्मल गिरी जी का निजी लेख है इस लेख को किसी भी तरह से बिना लेखक के अनुमति के प्रकाशित करना कानूनन अपराध है
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