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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

SHREE GHUSHMESWAR JYOTILING SHIV BHAKTO KA ADBHUT TRITH STHAL

 



 धुश्मेस्वर ज्योतिलिंग या घ्रिश्नेस्वर ज्योतिलिंग 

श्री घुश्मेस्वर ज्योतिलिंग  भगवान्  शिव का बारहवा ज्योतिलिंग है अपने देश भारत में मोजूद बारह ज्योतिलिंग में यह अंतिम ज्योतिलिंग है   यह ज्योतिलिंग महारास्त्र के संभाजी नगर जिले में है जो की पहले औरंगाबाद जिले के नाम से जाना जाता है यहाँ आने के लिए देश के हर जगह से ट्रेन उपलध है पास में ही औरंगाबाद हवाई अड्डा है जहा से आपको सीधी बस मिल जाएगी यहाँ पास में ही प्रसिद्ध एलोरा गुफा भी है

 यहाँ पहुचने के लिए आपको औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पहुचना होगा जहा से घ्रिस्नेस्वर  या घुश्मेस्व्वर  ज्योतिलिंग की दुरी लगभग १२ किलोमीटर है रेलवे स्टेशन से आपको न्यू बस स्टैंड जाना होगा बस स्टैंड से आपको घुस्मेस्वर ज्योतिलिंग के लिए सीधी बस मिल जाएगी जिसका किराया लगभग ६० रूपये है जो आपको सीधे एलोरा गुफा के बस स्टैंड पर पंहुचा देगी जहा से ज्योतिलिंग की दुरी लगभग 1.5 किलोमीटर है जहा आप पैदल या ऑटो से जा सकते है   यह हिन्दुओ का अति प्राचीन तिरथ स्थल है इसकी काफी मानता या महत्व है शिव भक्त यहाँ पुरे देश ही नहीं विदेशो से भी दर्शन पूजन के लिए आते है भगवान् शिवव शंकर क्रोधित होने पर सारे जगत का विनास कर देते है इनकी महिमा काफी महान है भगवान शिव की आराधना करने से हर प्राणी को ही नहीं मनुष्य को भी मोक्ष प्राप्त होता है भगवान् शिव की पूजा हर मनुष्य अपने सामथ्य के अनुसार करता है भगवान् शिव की कृपा मिलने पर हर मनुष्य जीवन मरण के बन्धनों से मुक्त हो जाता है

घुश्मेस्वर ज्योतिलिंग की निर्माण या स्थापना की कथा बरी ही रोचक और दिलचस्प है कहते है की देवगिरी की पर्वत के पास ही सुकर्मा नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेशा  के साथ रहता था वे दोनों पति पत्नी भगवान् शिव के परम भक्त थे सुकर्मा संतान हिन् था जिसके कारन वह काफी दुखी रहता था सुदेशा ने संतान की लालसा से सुकर्मा को दुसरे विवाह करने का आग्रह किया था जिसके कारण सुकर्मा ने सुदेशा के बहन धुश्मा से सुकर्मा का विवाह करा दिया था धुस्मा को कुछ दिनों के बाद एक लरका हुआ लरका होने के कारन धुस्मा का मान बढ़ गया था जिसके कारन सुधेशा को धुस्मा से जलन होने लगी थी लरका जब बरा हुआ तो सुकर्मा ने उसका बिवाह कर दिया था यह देखकर सुदेशा क्रोधित हो गयी थी उशने धुस्मा की जिन्दगी को तवः करने की साजिश रची रात में जब सभी लोग सो गए तब सुदीषा ने धुस्मा के बेटे को मार दिया और उसकी लाश को तालाब  में फेक दिया

सुबह होने के बाद सुदेशा अपने काम में लग गयी वह खुद को सामान  दरसा रही थी  बहु जब नीद से जागी तो बह अपने पति को खोजने लगी बिस्तर खुनसे सना हुआ था वह धुस्मा के पास जाकर् रोने लगी सुदेशा नहीं चाहती थी की उस पर किसी को सक हो वह भी बहु के साथ रोने लगी धुस्मा ने हिमत से काम लिया वह शांत भाव से नित्य पूजन के कार्य में लगी रही धुस्मा भगवान शिव को अपना संरक्षक मानती थी उसे बिसबास था की भगवान शिव उसकी रक्षा करेंगे वह भगवान् शिव  की पूजा में लींन  हो गयी

धुस्मा पूजा खतम होने के बाद पार्थिव लिंग को लेकर तालाब के किरणे गयी उसने अपने पूजित पार्थिव लिंग को तालाब में बहा दिया वह भगवान् शिव की स्तुति करने लगी भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए भगवान् धुस्मा की भक्ति से प्रशन हो गए थे धुस्मा के कहने पर उसका पुत्र जिन्दा हो गया

भगवान शिव ने धुस्मा को बरदान मांगने के लिए कहा सुदेश के उपर भगवान शिव क्रोधित थे वह सुदेशा को दंड देना चाहते थे धुस्मा अपनी बरी बहन सका सम्मान करती थी वह सुदेशा का अनहित नहीं चाहती थी धुस्मा ने सुदेशा को क्षमा करने का वरदान माँगा भगवान शिव का क्रोध संत हो गया उसने सुदेश्सा को क्षमा कर दिया था धुस्मा के कहने पर भगवान् शिव ने वहा ज्योतिलिंग के रूप में निवास करने का निर्णय लिया और संसार में धुस्मेस्वर ज्योतिलिंग के रूप में प्रसिद्ध हुए

धुस्मेस्वर ज्योतिलिंग का निर्माण भोसले ने करवाया था वह भगवान शिव के परम भक्त थे भ्ग्वान्शिव की कृपा से उसे पहरी में छुपा हुआ खजाना प्राप्त हुआ था भोसले ने मंदिर के करीब एक झील का निर्माण करवा था ज्योतिलिंग का दर्शन करने से मन की मुराद पूरी होती है जगत गुरु शंकरआचार्य भी  ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी मंदिर का मुख्य कक्ष काफी ही सुन्दर है यह २४ खंभों पर टिका हुआ है एन खंभों के उपार काफी सुन्दर नकाशी की गयी है कक्ष के टिक आगे द्वार पर नंदी जी की मूर्ति है छत्रपति सभाजी नगर में कई अछे होटल भी है धरम शालाये भी है जहा रहने की उत्तम सुबिधा है मन्दिर परिसर में भी रहने की अब सुबिधा हो गयी है इसके आस पास भी कई होटल है जहा आप रह सकते है लेकिन ये होटल काफी महगे किराया लेते  है इसीलिए आप मंदिर में दर्शन के बाद बापस संभाजी नगर लोट कर वहा के होटलों में रुक सकते है

ओरंगाबाद में रेलवे अवम एयर पोर्ट भी है शिव भक्त काफी सरधा से इनकी पूजा अर्चना करते है मंदिर में पूजा की भी सुबिधा है शिव भक्त मंदिर के ट्रस्ट के द्ववारा निर्धारित शुल्क का भुक्त तान कर पूजा अर्चना कर सकते है

यह ज्योतिलिंग देश के सभी जगहों से ज़ुरा हुआ है आप पश्चमी रेलवे के नाशिक या मन मंद रेलवे स्टेशन से भी सरक मार्ग से पहुच सकते है मंदिर के आस पास फूलो अवम प्रसाद की दुकाने है जहा पर भगवान के ज्योतिलिंग की फोटो माला अवम  पूजा सामग्री उपलध रहती है मंदिर के अन्दर ज्योतिलिंग के गर्भगृह में महारास्त्र यां तरीके से पूजा होती है जहा आपको अध्य नगण्य होकर ही पूजा करनी पार्टी है

मंदिर के ही दक्षिण की और से प्रसिद्ध एल्लोरा की गुफाये है जहा जाकर आप 40 रूपये के टिकट लेकर दर्शन कर सकते है ईएसआई के अन्दर प्रसिद्ध कैलाश मंदिर भी है जो की एक पहार को कट कर बनाया गया है

यह से आस पास ही कई और मंदिर है जहा जाकर  दर्शन पूजन कर सकते है यहाँ से विश्व प्रसिद्ध साईं सिरडी मंदिर भी काफी करीब है जहा जाकर आप दर्शन पूजन भी कर सकते है वहा बगल में भी एक आश्रम है जहा आप रूम लेकर रुक सकते है मंदिर अगल बगल में मुग़ल कालीन कई देखने केयोग्य संरचनाये है 

Writned by swami nirmalgiri ji maharaj  

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