श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग एक चिता भूमि

अद्भुत ज्योतिलिंग
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श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग झारखण्ड
के देवघर जिले में है यहाँ जाने के लिए देश के सभी भागो से सीधी रेलसेवा उपलध है पास
में ही दो रेलवे स्टेशन है पहला स्टेशन वैजनाथ धाम है जो मंदिर से दक्षिण की और 0.5
किलोमीटर की दुरी पर है जहा पर सीधी जसीडिह जंक्शन से मेमू ट्रेन आती है दूसरा रेलवे
स्टेशन देवघर जंक्शन है जहा जसीडिह और बांका जंक्शन और दुमका से सीधी ट्रेन आती है
आप देश के किसी भी कोने से जसीडिह जंक्शन पहुचे वहा से आपको सीधे मेमू ट्रेन देवघर के लिए मिल जाएगी या आप सीधे ऑटो या बस से मंदिर तक पहुच सकते है

श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग भगवान शंकर या शिव का ग्यारहवा
ज्योतिलिंग है यह झारखण्ड के देवघर जिले विश्व प्रसिद्ध ज्योतिलिंग मंदिर अबस्थित है
श्री वेदनाथ मंदिर को किसने बनबाया ये बताना काफी कठिन है अनेको धरम ग्रंथो में इसका
उल्लेख मिलता है शिव पुराण में इसका कई बार बरनन मिलता है

श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग अत्यंत प्राचीन है इसकी काफी
महिमा है सृस्ती के कण कण में भगवान शिव का निवास है वह अपने भक्तो पर अपनी कृपा दृष्टी
बनाये रखते है भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य की समस्त मनोकमने पूर्ण होती है श्री
वैजनाथ ज्योतिलिंग का दर्शन करके शिव भक्त भाव भाव विभोर हो उठाते है

इसके बारे में किवदंती है की लंका का राजा रावण भगवान्
शिव का परम भक्त था वह भगवान् शिव को प्रशन
करने के लिए कैलाश पर्वत पर जाकर तपश्या करने लगा वह भगवान शिव का परम भक्त
था इसके कारन उसने तपस्या के दोरान अपने शिर को कट कर भगवान् शिव को समर्पित करने लगा
इस प्रकार उसने अपने नो शिर को भगवान शिव के लिंग पर चदा डाले वह अपना दसमा शिर जैसे
ही चदा ने के लिए शिर काटने जा रहा था तभी भगवान शिव प्रकट हो गए उन्होंने रावन के
दसो शिरो को पहले जैसा कर दिया

भगवान शिव ने रावन को बरदान मांगने को कहा रावन ने
भगवान् शिव से लंका चलने का बरदान माँगा भगवान् शिव ने रावन को अपना शिवलिंग लंका ले
जाने का आदेश दिया रावन शिव लिंग को लेकर लंका की और चल दिया लेकिन देवगन नहीं चाहते
थे की भगवान शिव लिंग के रूपमें लंका जाए उन्होंने देवी गंगा से रावन को रोकने का अनुरोध किया

देवी गंगा रावन के पेट में जाकर समा गयी रावन को बरी
जोर की लघु संका महसूस होने लगी वाह असमंजस में फंस गाया भगवान् विष्णु ग्वाले के रूप
में वहा आये रावन अपने मूत्र के वेग को रोक नहीं पा रहा था उसने शिवलिंग को ग्वाले
को पकरा दिया और लघु संका सी निवृत होने को चला गया
रावन काफी देर तक लधु संका करता रहां ग्वाले ने शिवलिंग
को धरती पर रख कर गायव हो गया पृथ्वी पर रखते ही शिव लिंग अचल हो गया रावन ने शिव लिंग को काफी उखारने का प्रयास किया लेकिन वह सफल
नहीं हो सका वह निराश हो गया था उसने शिव लिंग को अगुंठे से दवा दिया रावन को खली हाथ
लंका लोटना परा था
श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग के दर्शन पूजन के लिए प्रति
दिन लाखो शिव भक्त यहाँ मंदिर में आते है लेकिन सावन के महीने की छटा तो वहुत ही निराली
होती है यहाँ शिव भक्तो की काफी भीर जुटती है यहाँ ज्योतिलिंग पर जल चढ़ने के लिए सावन
के हर सोमबार को काफी भीर होती है यहां करीब २से ३ लाख शिव भक्त गंगा जल अर्पित करते
है यह क्रम पुरे सावन महीने चलता रहता है याह मेला भादो महीने में लगा रहता है यह मेला
किसी भी मायने में कुभ से कम नहीं है मेले में प्रतिदिन करीब 1 से २ लाख शिव भक्त गंगा
जल अर्पित करते है यह मेला भारतीय सनातन संस्कृति का जीता जागत्ता नमूना है

श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग पर जल अर्पण करने के लिए शिव
भक्त केसरिया रंग के कपरे पहनते है विश्व का कोई ऐसा मेला नहीं है जहा एक ही रंग के
कपरे पहन कर भक्त मंदिर जाते है केसरिया रंग सोभाग्य एकता और प्रेम का प्रतीक है शिव
भक्त अपने काँधे पर कावर लेकर चलते है कावरियो में जादातर शिव भक्त बिहार उतर प्रदेश
झारखण्ड मध्य प्रदेश और बंगाल के कवारिये रहते है सभी राज्यों के भी और पुरे देश ही
नहीं पुरे विश्व से शिव भक्त सावन के महीने
में यहाँ पहुचते है इन कावरियो को बम बम कह कर संबोधित किया जाता है

श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग के सावान के महीने के मेले
में चार प्रकार के कावारिया होते है साधारण बम कावारिया सुल्तान गंज से जल भर कर कावर
में लेकर रास्ते में रुकते खाते पिटे सोते बैठते तिन से चार दिन में बाबा वैजनाथ के
दरवार में पहुचते है और श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग के शिव लिंग पर जल अर्पित करते है इस
मेले में साधारण कावरियो का संख्या ज्यादा होती है डाक कावारिये सुल्तान गंज से गंगा
जल उठाने के बाद कही भी नहीं रुकते है वे लगातार चलते चलते करीब १४ स्व १८ या २४ घंटे
में बाबा वैजनाथ के दरवार पहुच कर शिव लिंग
पर गंगाजल अर्पित करते है तीसरा बम जिसे खरा
बम कहा जाता है ये कावर में जल भर कर श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग पर जल अर्पित करने जाते
है इसमें शिव भक्त आराम तो कर सकता है लेकिन कांवर को आराम नहीं कराया जाता है इसके
लिए कोई आदमी इसे अपने कंधे पर लेकर रात नहर हिलाते डुलते रहते खरा बम कांवर को लेकर
२४ से ३६ घंटे में बाबा धाम पहुचते है और श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग पर गंगा जल अर्पित
करते है

डंडी कावारिया की यात्रा सबसे अधिक और कठिन और मुस्किल होती है यह सुल्तान गंज से १०५ किलो मीटर की यात्रा
दंड वट होकर लेट कर करते है जिसमे करीब 1 महीने का समय लगता है और ये बम श्री वैजनाथ
ज्योतिलिंग के शिव लिंग पर गंगा जल अर्पित करते है कावरियो को काफी नियम का पालन करना
होता है बम सुबह स्नान के बाद ही कांवर लेकर चल सकते है किसी भी शिव भक्त कवारिये को
वो बाये छोर कर आगे नहीं निकल सकते है कंवर से कांवर न टकराए इसका भी ख्याल रखना परता
है इन नियमो का सख्ती से पालन करना होता है तभी ज्योतिलिंग पर जल अर्पण करने का पुन्य
मिलता है
सुल्तान गंज से कवारिये गंगा नदी से जल भर कर कांवर
की पूजा अर्चना करके बम अपनी यात्रा शुरू करते है यात्रा के १०५ किलोमीटर की दुरी में
विभिन धर्म शालाओ में बिसराम करते हुइ ये यात्रा पूरी करते है रस्ते का दृश्य काफी
सुन्दर होता है यह यात्रा मुख्य रूप से मुंगेर जिले से शुरू होकर बांका जिले में होती
है इसमें काफी सुन्दर नज़ारे है भागलपुर जिले के सुल्तान गंज से ये यात्रा सुरु होती
है इसके बाद मुंगेर जिले में प्रवेश करके बम काफी सकूँ महसूस करते है ज्यो ही बांका
जिले की सीमा आती है पहारी इलाका सुरु हो जाता है जिसमे जलेबिया मोर अबरखा दर्शनीया
प्रमुख्य है बम करीब ९० किलोमीटर की यात्रा बिहार में पूरी करते है ज्यो ही झारखंड
की सीमा दुम्मा से सुरु हो जाती है वहा से काफी भीर भर बाले इलाके आ जाते है अब्रखिया
के क्षेत्र में से गुजरते हुई शिव भक्तो को काफी अछे दृश के अबलोकन होते हाई कठिन रास्तो
में अब्रखिया जबेलिया मोर प्रमुख्य है
दर्शनीया तक पहुचते समय शिव भक्त काफी थक जाते है
परन्तु वहा से बाबा वैजनाथ के मंदिर का शिखर का दर्शन करके शिव भक्तो में नए उत्साह
का संचार हो जाता है बम बोल बम के नारे के जयघोष से अपनी यात्रा पूरी करके श्री वैजनाथ
ज्योतिलिंग पर गंगा जल अर्पित करते है
श्री वैजनाथ धाम जसीडिह जंक्शन से 6 किलोमीटर की दुरी
पर है नजदीकी हवाई अड्डा पटना और रांची है बैजनाथ धाम देश के सभी प्रमुख्य शहरों से
ज़ुरा हुआ है वैजनाथ ज्योतिलिंग धाम में पर्याप्त संख्या में धरम शालाये उपलध है जहा
भोजन उचित दर पर मिल जाता है वैजनाथ ज्योतिलिंग धाम में जाती बंधन नहीं है यहाँ किसी
तरह का भेद भाव नहीं किया जाता है शिव भक्तो के सुख सुभिधाओ का पूरा ख्याल रखा जाता
है श्री वैजनाथ ज्योतिलिंग एक पत्थर के दिवार से घिरा हुआ है गर्व गृह में ज्योतिलिंग
स्थापित है ज्योतिलिंग की उचाई लगभग 11 अंगुल है रावन के द्वरा दवाए जाने के कारन शिव
लिंग के उपरी हिस्से में एक गद्दा बन गया है मंदिर परिसर में एक मंडप है जो चार खंभों
पर खरा है
मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान शिव के वहां नंदी की
मूर्ति बिराजवान है मंदिर की दीवारों पर काफी उम्दा नाकाशी की गयी है वैजनाथ धाम ज्योतिलिंग
में रहने की समुचित सुबिधा है विभिन संस्थाओ के द्वारा संचालित धरम शालयो के अतिरिकित
पर्यटन विभाग के भी यहाँ गेस्ट हाउस है जहा आप को समुचित किराये पर रूम मिल जायेंगे
इसके अतिरिकित यहां निजी होटल भी है जहा आपको रूम आशानी से मिल जायेंगे
श्री वैजनाथ मंदिर के पण्डे अपने यहाँ अपने यजमानो
के भी रहने की बय्बस्था करते है रहने के बदले में कुछ किराया देना परता है या आप जो
पूजा करवाएंगे उशी से ये अपना किराया बसूल लेंगे
श्री वैजनाथ धाम के आस पास अनेको दर्शनीय स्थान है
जिसमे से प्रमुख्य दर्शनीय स्थान नो लकखा मंदिर तपोवन ठाकुर अनुकालानंद मंदिर नंदन
पहार प्रमुख्य है यहाँ प्रकृति की अनुपम छठा है पगला बाबा मंदिर वेजू मंदिर हाथी पहार
कुंदेस्वारी मंदिर माँ शीतला मंदिर रामकृष्ण मिशन त्रिकुटा पहार माँ तारा पिट अज्गेवी नाथ मंदिर सत्संग मंदिर आदि प्रमुख्य दर्शनीय
स्थल है
माँ तारा पीठ शक्तिपिठो में प्रमुख्य है है ऐसी मानता
है की माँ तारा के दर्शन मात्र से ही भक्तो का कल्याण होता है यहा तांत्रिक साधने भी
की जाती है बेजू मंदिर यहाँ का प्रमुख्य मंदिर है ऐसी मानताए है की जव रावण को लघु
शंका लगी थी तब उसने वेजू को ही भगवान् शिव
के ज्योतिलिंग को शिर पर रखने के लिए दिया था ऐसी मानताए है कि वेजू ही भगवान् विष्णु
के रूप थे या के रूप में आये थे इसी कारान से बाबा धाम आये हर शिव भक्त इसके दर्शन
करते है
श्री वैजनाथ धाम ज्योतिलिंग मंदिर से ४२ किलोमीटर
की दुरी पर दुमका जिले में बाबा बासुकी नाथ मंदिर है जिस मंदिर में आप जाकर मंदिर में
दर्शंपुजन और जलाशिवेक कर सकते है बाबा बासुकीनाथ के बिना बाबा वैजनाथ की पूजा अधूरी
मानी जाती है बाबा वैजनाथ में जो कवारिये आते है वे बाबा बासुकी नाथ के लिए गंगा जल
अबश्य लेकर आते है स्थानीय logo की मानती है की बाबा बासुकीनाथ भी एक ज्योतिलिंग है शिव भक्तो का मानना है की बाबा
बासुकीनाथ ही नागेश्वर ज्योतिलिंग है जो झारखण्ड के दुमका जिले में है जो बाबा बासुकीनाथ
के रूप में यहाँ बिराजमान है जिसकी पूजा साडी जनता शिव भक्त करते है आप अपने जीवन में
समय निकल कर यह आब्शय आये ताभी आपका जीवन सफल होगा
writened by स्वामी निर्मल गिरी जी महाराज
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