श्री महाकालेश्वर ज्योतिलिंग
श्री महाकालेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर मध्यप्रदेश के
उज्जैन शहर में है यह भगवान् शिव का तृतीय ज्योतिलिंग है श्री महाकालेश्वर ज्योतिलिंग जाने के लिए देश के
सभी भागो से सीधी रेल की सुबिधा उपलध है आप देश के किसी भी कोने से रेल या सरक या हवाई
यात्रा से उज्जैन पहुच सकते है उज्जैन रेलवे स्टेशन से श्री महाकालेश्वर ज्योतिलिंग
मंदिर की दुरी 1.5 किलोमीटर है यह मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे है मंदिर के परिसर
का नव निर्माण बर्तमान में मध्यप्रदेश
सरकार के द्वारा करवा गया है मंदिर परिसर को नए सिरे से बिकसित किया गया है मंदिर के
आस पास यात्रियों के लिए सभी सुभिधाओ की बय्बस्था की गयी है उज्जैन शहर का काफी पोरानिक
महत्व है भगवान श्री कृष्ण ने यह संदीपनी मुनि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी प्रसिद्ध
महाकवि श्री कालिदास ने भी अपने कई काव्य ग्रन्थ में उज्जैन का बारबार बरनन किया है
श्री महाकालेश्वर ज्योतिलिंग काफी पुराना है इस ज्योतिलिंग
का काफी महत्व है इस ज्योतिलिंग के दर्शन का काफी महत्व है कहा जाता है की जो एक बार
इस ज्योतिलिंग का दर्शन पूजन कर लेता है उसकी कभी आकाल मोट नहीं होती है इस ज्योति लिंग मंदिर के बारे में कहा
जाता है की शिव पुराण के अनुसार इसकी स्थापना इक गोप बालक के द्वारा की गयी थी श्री
महाकालेश्वर ज्योतिलिंग के महाकाल की सबारी बरी ही घूम धाम से निकली जाती है इस ज्योतिलिंग
की पूजा निराकार रूप में की जाती है
उज्जैन के इस ज्योतिलिंग मंदिर का कब निर्माण हुआ
इसके बारे में कहना बरी मुस्किल है अनेक प्राचीन ग्रंथो में इसका उलेख मिलता है तीसरी
सदी के सिक्को पर इस मंदिर के महाकाल की छवि अंकित है यह मंदिर काफी पुराना है प्रांरंभिक
मंदिर पहले कास्ट के लकरी का बने हुआ थे गुप्त काल में इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया
गया था कई बार यह मंदिर जीर्ण हो गे था लेकिन गुप्त काल के राजाओ के द्वारा इसका पुनः
निर्माण करवाया गया था इस मंदिर का बरनन पंचतंत के कथाओ में भी मिलता है यह मंदिर काफी
सुन्दर और कलात्मक है
१८वि सदी में मराठा राज्य के पेशवा बजिराव प्रथम ने
राणे जी सिंधे को उज्जैन का सूबेदार नियुक्त किया था रानोगी शिंदे के पास काफी घन था
लेकिन वे बे ओलाद थे शुभ चिंतको के कहने पर उसने अपनी सम्पति को धार्मिक कार्यो में
लगाने का फैसला लिया था उसने ही मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था
श्री महाकालेश्वर मंदिर तिन खंडो में बता हुआ है पहले
खंड में श्री महाकालेश्वर मंदिर है दुसरे खंड में ओम्करेस्वर मंदिर और तीसरे खंड में
नाग्चंरेस्वर मंदिर है मंदिर के ही प्रागनं में एक कुंद है कुंद के उतारी छोर पर भगवान
राम देवी अवंतिका की मनोहर प्रतिमा है श्री महाकालेश्वर का शिव लिंग काफी आकर्षक है
शिव लिंग के समुख इक पत्थर की नंदी बनी हुई है मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव की स्तुति
अंकित है ओम्करेस्वर शिवलिंग मंदिर के मध्य भाग में है इसका त्रंत्र की दृष्टी से काफी
महत्व है मंदिर के तीसरे खंड में भगवान शंकर माता पार्वती नाग के साथ विराज्वान है
नागच्न्द्रेस्वर का दर्शन सिर्फ नाग पंचमी को ही होते है इसके अतिरिक्त परमार कालीन
प्रतिमाये मंदिर के प्रागं में काफी चार चाँद लगते है
यह श्री महाकालेश्वर मंदिर का दरसन भक्त जन क्षिप्रा
के जल से करते है पूजारियो का दल हमेशा पूजा में वस्त रहते है हर समय यह वेड मंत्रो
के उचारण से पूरा मंदिर गुजमान रहता है
यहाँ आपको काफी अछे होटल भी मिलजायेंगे जहा आप विश्राम
भी कर सकते है यह कई आश्रम भी है लेकिन यह पर रहने की कम ही सुबिधा है उज्जैन शहर काफी
अच्छा है यह आपको काफी होटल और भोजन की सुबिधाये मिल जाएँगी आप अपनी सुभिधा के अनुसार
यह रह सकते है उज्जैन शहर में काफी सुन्दर और मंदिर है यह 6 सालो पर कुभ का भी मेला
भी लागता है यहाँ काफी सुन्दर और अछे मंदिर है
पास ही राम घाट है जहां जाकर आप स्नान भी कर सकते है राम घाट के किनारे काफी मंदिर
बने हुइ है उज्जैन शहर में राम मंदिर भरथरी
की गुफाओ भी है उज्जैन शाहर में काफी पुराने समय के और मंदिर भी है जहा आप के पास यदि
समय है तो आप पुरे शहर में घूम कर इन मंदिरों का भी दर्शन पूजन कर सकते है यहां पास
में ही जंतर मंतर भी है जहा आप जाकर राजा मानसिंह के द्वारा निर्मित इन प्राचीन यंत्रो
को भी देख सकते है क्षिप्रा नदी के तट पर काफी पुराने मंदिर है उज्जैन में श्री कालभैरव
का भी एक मंदिर है जो मुह से लगाते ही शराब गायब हो जाती है बगल में ही काफी दरसनीय
स्थान भी है उज्जैन काफी पुराना शहर है यहाँ आप समय निकल कर आये और इस शहर के आस पास
के सभी तीर्थो का दर्शन पूजन करे
WRITENED BY SWAMI NIRMAL GIRIJI MAHARAJ
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